तमिलनाडु में सियासी उथलपुथल का दौर बदस्तूर जारी है. तमिलनाडु की सत्ताधारी AIADMK में शशिकला और टीटीवी दिनाकरन के वफादार 19 विधायकों ने मंगलवार को राज्यपाल से मिलकर कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पलानीस्वामी पर भरोसा नहीं रहा और वे सरकार से समर्थन वापस लेते है. मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी और ओ पनीरसेल्वम के धड़े में हुए विलय से नाराज ये विधायक नाराज बताए जाते हैं.
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) में इस फूट के बाद विपक्ष ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर पलानीस्वामी सरकार द्वारा सदन में बहुमत साबित करने की मांग की. दरअसल मौजूदा हालात में सत्ताधारी पार्टी अल्पमत में दिख रही है. तमिलनाडु की 234 सदस्यीय विधानसभा में AIADMK के पास कुल 134 विधायक हैं, जबकि डीएमके के पास 89 विधानसभा सीट हैं और उसकी सहयोगी कांग्रेस के पास 8 तथा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के पास एक सीट है.
इस बीच डीएमके नेता एमके स्टालिन के मुताबिक, 3 और विधायक पलनीसामी का साथ छोड़ रहे हैं. ऐसे में AIADMK विधायकों की संख्या 112 ही रह जाएगी, जो कि बहुमत के आंकड़े 117 से छह कम हैं.
इस बीच सूत्रों के मुताबिक, दिनाकरन के समर्थक माने जाने वाले विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए उन्हें पुडुचेरी के एक रिसॉर्ट रखा गया है. इससे पहले दिनाकरन समर्थक और आंडीपट्टी से विधायक थांगा तमिल सेल्वन ने राज्यपाल सी विद्यासागर राव से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, हम हमारा समर्थन करने वाले विधायकों की मदद से एक नए मुख्यमंत्री को लाने के प्रयास शुरू कर रहे हैं. राजभवन के सूत्रों ने भी इस बैठक की पुष्टि की, लेकिन उन्होंने इसका ब्योरा नहीं दिया.
इस घटनाक्रम के बाद पलानीस्वामी ने उपमुख्यमंत्री पनीरसेल्वम और दूसरे वरिष्ठ मंत्रियों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया. वहीं ताजा हालात को भुनाने की कोशिश करते हुए मुख्य विपक्षी डीएमके ने राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा सत्र बुलाने और पलानीस्वामी को सदन में बहुमत साबित करने का निर्देश देने की मांग की. डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष के नेता एमके स्टालिन ने राव को लिखे पत्र में दावा किया कि ताजा घटनाक्रम के बाद राज्य में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है. डीएमके नेता ने कहा कि विधायकों द्वारा राव को पत्र दिए जाने के बाद पलानीस्वामी की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार अपना बहुमत खो चुकी है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक में ऐसे ही एक मौके पर राज्य के राज्यपाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को सदन में बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था.