तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव 2021 में होने वाले हैं. राज्य में जयललिता के बाद जो खालीपन आया है उसे देखते हुए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण होंगे. लेकिन आज यदि तमिलनाडु में चुनाव हों, तो क्या स्थिति होगी, यह जानने के लिए इंडिया-टुडे कार्वी इनसाइट्स ने एक ओपिनियन पोल किया. इस पोल से यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि अभी चुनाव हुए तो मौजूदा सत्तारूढ़ AIADMK गठबंधन 26 फीसदी वोटों के साथ महज 68 सीटें ही हासिल कर पाएगा. यह ओपिनियन पोल तमिलनाडु के 77 विधानसभा क्षेत्रों में किया गया. इस पोल की 10 प्रमुख बातें इस प्रकार हैं-
1. पोल के अनुसार अभी चुनाव हुए तो राज्य की सत्तारूढ़ AIADMK को भारी नुकसान होगा. साल 2016 में AIADMK को 40 फीसदी वोट हिस्सेदारी के साथ राज्य में 135 सीटें मिली थीं.
2. विपक्षी डीएमके गठबंधन (डीएमके, कांग्रेस और आइयूएमएल) को 34 फीसदी वोट और 130 सीटें हासिल हो सकती हैं. सुपरस्टार रजनीकांत की पार्टी की अच्छी शुरुआत हो सकती है और उसे राज्य में 16 फीसदी वोटों के साथ 33 सीटें मिल सकती हैं. ओपिनियन पोल के अनुसार एक और सुपरस्टार कमल हासन का चुनाव में कोई खास असर नहीं होगा.
3. पोल के अनुसार राज्य का एक बड़ा बहुमत, 65 फीसदी, यह मानता है कि जे जयललिता के निधन के बाद राज्य में एक बड़ा राजनीतिक खालीपन आ गया है और इसने राज्य में शासन की गुणवत्ता पर काफी विपरीत असर डाला है. हर पांच में से चार लोगों का यह मानना है कि पिछले एक साल में राज्य में शासन की गुणवत्ता काफी खराब हुई है. आधे से ज्यादा लोग यह मानते हैं कि जयललिता के न होने से अब AIADMK बिखर जाएगी.
4. इंडिया टुडे-कार्वी ओपिनियन पोल से पता चलता है कि AIADMK के लिए अपने मतदाताओं का आधार बनाए रखना मुश्किल हो रहा है. 2016 के चुनाव में AIADMK को वोट देने वाले हर तीन वोटर में से एक ने तय किया है कि अब वह इस पार्टी को वोट नहीं देगा. इन असंतुष्ट मतदाताओं में से करीब 60 फीसदी रजनीकांत की पार्टी की तरफ झुकते दिख रहे हैं, जबकि इसमें से 26 फीसदी लोग डीएमके की तरफ जा सकते हैं.
5. सर्वे के अनुसार DMK के कुछ वोटर्स भी रजनीकांत की पार्टी की तरफ जाते दिख रहे हैं. हालांकि AIADMK की तुलना में उसका वोटर बेस कुछ सुरक्षित है. DMK के हर पांच में एक मतदाता अब पार्टी से दूर जा चुका है. इन असंतुष्ट मतदाताओं में से 63 फीसदी रजनीकांत की पार्टी को वोट देने का मन बना चुके हैं.
6. सर्वे के अनुसार रजनीकांत की पार्टी की तमिलनाडु की राजनीति में अच्छी शुरुआत होती दिख रही है. अभी चुनाव हुए तो पार्टी को 16 फीसदी मत मिल सकते हैं. यह तब की बात है जब अभी रजनीकांत की पार्टी का न तो कोई औपचारिक नाम तय हुआ है और न ही किसी सिम्बल की घोषणा हुई है. सुपरस्टार से नेता बने रजनीकांत ने अभी तक तो कोई अभियान भी नहीं शुरू किया है. इसलिए ऐसा लगता है कि अगले चुनाव तक तो उनकी पार्टी राज्य में एक मजबूत राजनीतिक ताकत बन जाएगी.
7. हालांकि सर्वे के अनुसार राज्य की बहुसंख्य जनता यह मानती है कि बाहरी होने की वजह से तमिलनाडु की राजनीति में रजनीकांत के लिए जगह बनाना आसान नहीं होगा. रजनी को इस समस्या से निबटना होगा. यही नहीं, सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा लोग यह भी मानते हैं कि जयललिता के बाद जो खालीपन आया है उसको भरने में रजनीकांत अभी सक्षम नहीं हैं और इसी वजह से फिलहाल राज्य में DMK का वोटर बेस बढ़ता दिख रहा है.
8. सर्वे के अनुसार AIADMK के भीतर अभी साफतौर से कोई तस्वीर नहीं उभर पाई है कि जयललिता की विरासत का असली वारिस कौन हो सकता है. ओ पन्नीरसेल्वम को ईके पलानीस्वामी की तुलना में थोड़ी बढ़त हासिल है, लेकिन सर्वे में शामिल लोगों में इस पर आमराय नहीं है. सर्वे में शामिल 30 फीसदी से ज्यादा लोग यह मानते हैं कि AIADMK के मौजूदा नेतृत्व जैसे ओ पन्नीरसेल्वम, ईके पलानीस्वामी, टीटीवी दिनाकरन, दीपा जयकुमार और शशिकला नटराजन में से कोई भी जयललिता की विरासत का असल वारिस नहीं है.
9. सर्वे में शामिल 64 फीसदी का बहुमत वर्ग ईके पलानीस्वामी के प्रदर्शन को खराब या बहुत खराब मानता है. नौकरी के सृजन, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और उद्योंगों की दशा, किसानों की हालत आदि प्रमुख आर्थिक और सामाजिक पैरामीटर को लेकर बहुत असंतोष है.
10. सर्वे में एम करुणानिधि को अब तक का तमिलनाडु का सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री माना गया है और उन्हें 29 फीसदी लोगों ने सर्वश्रेष्ठ माना है, उनके बाद 25 फीसदी पसंद के साथ एमजीआर और 21 फीसदी के साथ जयललिता का स्थान है.