देश की राजनीति अभी गुजरात चुनाव परिणाम के बुखार में डूबी हुई थी कि टू-जी घोटाले में पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले ने सियासी परिदृश्य में और उत्तेजना भर दी है. सियासतदानों के लिए भूकंपीय झटके की तरह आए इस फैसले का असर 2019 के आम चुनाव तक खिंच सकता है.
भ्रष्टाचार विरोधी लहरों पर सवार होकर 2014 में केंद्र की सत्ता में पहुंचीं बीजेपी भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधती रही है. 2019 के आम चुनाव से पहले दक्षिण भारत में नए सहयोगियों की तलाश में भटक रही बीजेपी के लिए 2-जी का खेल अभी खत्म नहीं हुआ है.
जांच एजेंसियां विशेष अदालत के फैसले को ऊपरी अदालतों में चुनौती देने जा रही हैं. बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सीधे रास्ते या दूसरे तरीके से चाहे जो हो, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम बीजेपी के लिए 2019 के आम चुनाव के प्लान का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
दूसरी ओर कांग्रेस के लिए टू-जी केस में कोर्ट का फैसला एक बड़े मौके की तरह आया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी. अब जबकि कोर्ट का फैसला आ गया है. पार्टी इसको बड़े पैमाने पर भुनाने की तैयारी में है. गुरुवार को पार्टी नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि ये सब झूठ का घोटाला था. बीजेपी ने लोगों को भ्रमित किया.
कांग्रेस पार्टी अब ज्यादा स्वच्छंद तरीके से आने वाले चुनावों में जनता के बीच जा सकेगी. भले ही जांच एजेंसियां इस फैसले को ऊपरी कोर्ट में चुनौती दें. लेकिन जनता में एक बार मैसेज जा पहुंचा है, इसलिए कांग्रेस के सिर पर 'भ्रष्टाचारी' का बोझ नहीं होगा. पार्टी नेताओं का दावा है कि बीजेपी के हाथ से एक बड़ा चुनावी मुद्दा निकल गया है और कांग्रेस की विश्वसनीयता बढ़ी है.
हालांकि दोनों पार्टियों की निगाह ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऊपरी कोर्ट में होने जा रही अपील पर टिकी है. और 2019 के चुनावी कैंपेन के दौरान इस केस में सियासी तौर पर जोर-आजमाइश पूरी रफ्तार में आ सकती है.
इन सब चीजों से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि तमिलनाडु के अपने पिछले दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना किसी पूर्व योजना के डीएमके नेता एम. करूणानिधि का हालचाल लेने पहुंच गए थे. स्टालिन सहित तमाम नेताओं के लिए यह चौंकाने वाला था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सियासी बिसात पर गोटियां बिछाने में माहिर हैं.
बीजेपी की निगाह तमिलनाडु में एक बेहतर सहयोगी पाने की है. जयललिता के समय अन्नाद्रमुक बीजेपी की सहयोगी थी, लेकिन अम्मा की मौत के बाद अन्नाद्रमुक में विभाजन और उठापटक के चलते बीजेपी को उनका साथ रास नहीं आ रहा है.
इधर, डीएमके तमिलनाडु में खुद को मजबूत बनाने और सत्ता में वापसी पर निगाह टिकाए हुए हैं. टू-जी केस में अपने नेताओं के बरी होने के बाद द्रमुक के लिए यह बड़ी जीत की तरह है. कोर्ट के फैसले के बाद जिस तरह स्टालिन और उनके नेताओं के घर आतिशबाजी हुई है, उससे पार्टी के उत्साह का पता चलता है. डीएमके अब ज्यादा उत्साह से चुनावी लड़ाइयों में उतरेगी.
हालांकि यूपीए सरकार में सहयोगी डीएमके का साथ कांग्रेस आसानी से छोड़ने वाली नहीं है. कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेताओं ने कनिमोझी का स्वागत किया, तो कनिमोझी ने भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने का समय मांगा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कनिमोझी से बात की और कहा कि दोनों पार्टियों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण समय है.
डीएमके अब टू-जी के दाग से खुद को मुक्त महसूस कर रही है तो बिखर चुकी अन्नाद्रमुक के मुकाबले लोकसभा चुनावों में अपने लिए बेहतर मौके भी महसूस कर रही है. हालांकि ये भविष्य के गर्भ में है कि टू-जी फैसले के बाद डीएमके कौन सा रास्ता पकड़ती है. क्या वो भारतीय राजनीति में 'राइट टर्न' लेगी या अपने पुराने सहयोगी के साथ आगे बढ़ेगी.