बांगलादेश की विवादास्पद लेखिका तस्लीमा नसरीन को जल्द ही भारत छोड़ना पड़ सकता है. अगले महीने के मध्य में उनका वीजा खत्म हो रहा है और उन्हें नया वीजा जमा करने के लिए कहा गया है.
47 साल की तस्लीमा भारत में स्थायी तौर पर रहने का भी प्रयास कर रही हैं. उनका वीजा 16 अगस्त तक मान्य है. देश में स्थाई निवास के लिए दिया उनका आवेदन सालों से मंजूरी का इंतजार कर रहा है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि तस्लीमा के वीजा को 16 अगस्त 2010 के बाद बढाया नहीं जा सकता क्योंकि उनका वीजा विविध श्रेणी में जारी किया गया था.
तसलीमा के पास स्वीडेन का पासपोर्ट है और उन्हें 2005 में भारतीय वीजा मिला था. उसके बाद उनके वीजा की अवधि पहले साल भर के लिए और फिर छह महीने के लिए बढायी गयी. इस श्रेणी में वीजा को पांच साल के बाद विस्तार नहीं दिया जा सकता.
नवंबर 2007 में कट्टरपंथी तत्वों के विरोध के बाद पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा नाटकीय ढंग से बाहर किए जाने के बाद तसलीमा देश के अंदर बाहर आती जाती रहीं. बीते रविवार को तड़के लंदन से आने के बाद उन्हें तत्काल एक सुरक्षित ठिकाने ले जाया गया. तस्लीमा 1994 में लज्जा लिखकर सुखिर्यों में आइ’ थीं. सूत्रों ने बताया कि तस्लीमा से कहा गया है कि वह कुछ दिन किसी अन्य देश में रहें और फिर नये वीजा के लिए उसी श्रेणी में आवेदन दें.
उन्होंने बताया कि लेखिका ने कोलकाता जाने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन उन्हें इसकी मंजूरी इस आधार पर नहीं दी गई कि कट्टरपंथी ताकतें उन्हें नुकसान पहुंचा सकती हैं. चार महीने से ज्यादा एक अज्ञात स्थान पर रहने के बाद 18 मार्च 2008 को तस्लीमा स्वीडेन के लिए रवाना हो गई’ थीं.
उन चार महीनों के दौरान उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया गया था और उन्होंने इस अनुभव को ‘मौत का चैम्बर’ बताया था. तस्लीमा ने बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत, अमेरिका, फ्रांस और स्वीडेन सहित कई देशों में निर्वासित जीवन बिताया है. भारत में अपने पिछले पांच साल के प्रवास के दौरान उन्होंने नियमित तौर पर विदेश यात्रा की है.