नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र में सत्तारुढ़ एनडीए के सहयोगी दल तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के बगावती तेवर को देखते हुए देश में नई राजनीति शुरू हो गई है. इस प्रकरण पर कांग्रेस ने भी अपने हमले करने शुरू कर दिए हैं.
टीडीपी आंध्र प्रदेश में सत्ता में है और पार्टी की लंबे समय से मांग है कि केंद्र सरकार आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए, लेकिन केंद्र ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है, इससे एनडीए में घमासान बढ़ता जा रहा है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कह दिया है कि आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा नहीं स्पेशल पैकेज दिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेटस के आधार पर ही स्पेशल पैकेज दिया जाएगा
ऐसे में विपक्षी दल भी मौके का फायदा उठाने लगे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने ट्विट कर पूरे घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री ऐसे महत्वपूर्ण मौके पर आंध्र के मुख्यमंत्री का फोन नहीं उठा रहे हैं. यह आंध्र प्रदेश की जनता के लिए अच्छा नहीं है.
It is very unfortunate the Prime Minister couldn’t take the Andhra Chief Minister’s phone call on such an important matter. This doesn’t augur well for the interest of the people of Andhra Pradesh
— Ahmed Patel (@ahmedpatel) March 7, 2018
वहीं कांग्रेस ने 13 मार्च को सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई विपक्ष की बैठक के लिए टीडीपी को भी न्यौता भेजा गया है, जहां कई विपक्षी दलों के आने की संभावना है.
दूसरी ओर, केंद्र सरकार के फैसले से नाराज टीडीपी के कोटे से मोदी कैबिनेट में शामिल दोनों मंत्री गुरुवार की सुबह इस्तीफा दे सकते हैं, वहीं आंध्र प्रदेश सरकार में शामिल बीजेपी के दो विधायक भी इस्तीफा दे सकते हैं. मोदी सरकार की कैबिनेट में टीडीपी के अशोक गजपति राजू और वाई एस चौधरी शामिल हैं.
हालांकि, टीडीपी प्रमुख और आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इस मसले पर गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने वाले हैं. बताया जा रहा है कि पीएम से बात होने के बाद ही नायडू अपने मंत्रियों को फाइनल आदेश देंगे. यानी प्रधानमंत्री से नायडू की बात होने के बाद ही दोनों मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी के शीर्ष नेता चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि उनके राज्य के साथ अन्याय हुआ है. केंद्र सरकार ने आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा नहीं निभाया है. जिसके चलते हमने केंद्र सरकार से अलग होने का फैसला किया है. नायूड ने ये भी कहा कि वो सत्ता के भूखे नहीं हैं. उन्होंने नाराजगी भी जताई कि उन्होंने इस मसले पर प्रधानमंत्री मोदी से बात करने की कोशिश की, लेकिन फोन पर बात नहीं हो सकी.
नायडू ने कहा कि उन्होंने सरकार से बहुत विनम्रता से कहा था. पिछले चार साल से हमने बहुत मेहनत की है और सभी विकल्पों पर काम किया है. यहां तक कि आज दोपहर के भाषण में भी उन्होंने कुछ नहीं बोला. उन्होंने सिर्फ राज्य के साथ अन्याय की बात कही.