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टीचर की सीख ने दिखाई सफलता की राह

10वीं का बोर्ड एग्‍जाम सभी के लिए खास होता है. स्‍टूडेंट से ज्यादा उसके घरवाले और शिक्षक उत्साहित होते हैं. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. पैरेंट्स और टीचर्स ने मेरे 6 क्‍लास में पहुंचते ही 10वीं के बोर्ड में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद मुझसे लगा ली थी.

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Symbolic Image
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10वीं का बोर्ड एग्‍जाम सभी के लिए खास होता है. स्‍टूडेंट से ज्यादा उसके घरवाले और शिक्षक उत्साहित होते हैं. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. पैरेंट्स और टीचर्स ने मेरे 6 क्‍लास में पहुंचते ही 10वीं के बोर्ड में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद मुझसे लगा ली थी.

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मैं भी अपनी तरफ से काफी मेहनत करती थी. लेकिन 10वीं क्‍लास के शुरू होते ही मेरी तबीयत बहुत खराब हो गई और मेरा ऑपरेशन करना पड़ा, जिसके चलते पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ.

इस बीच मैं काफी निराश हो चुकी थी और मैंने सोच लिया था कि इस साल मैं एग्जाम नहीं दूंगी. जब ये बात मेरी अंग्रेजी के शिक्षिका को पता चली तो उन्होंने मुझे एक पर्ची दे कर कहा कि इसे अपने स्टडी टेबल के सामने लिख लेना. उस पर्ची में स्वामी विवेकानंद की ए‍क सूक्ति लिखी थी. 'Arise, Awake and not Stop till the Goal is Reached'.

इस सूक्ति को पढ़ने के साथ मैनें सारी चिंता छोड़कर तैयारी शुरू कर दी. अपना बोर्ड का एग्जाम भी दिया. इस तरह से मैंने 10वीं का बोर्ड एग्जाम 89.40 फीसदी नंबरों के साथ पास किया. अगर नंबर की चिंता छोड़कर सिर्फ पढ़ाई की जाए तो रिजल्ट और भी बेहतर मिलता है.

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यह कहानी है गोरखपुर में रहने वाली सुरभि गुप्‍ता की. उन्‍होंने 10वीं परीक्षा से जुड़ा अपना अनुभव हमारे साथ साझा किया है.

आप भी हमारे साथ रिजल्‍ट से जुड़े अपने अनुभव aajtak.education@gmail.com पर भेज सकते हैं, जिन्‍हें हम अपनी वेबसाइट www.aajtak.in/education पर साझा करेंगे.

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