scorecardresearch
 

ये है अजीत डोभाल की टीम जिसने मुश्किल वक्त में जम्मू कश्मीर को संभाला

एनएसए अजीत डोभाल को इन अधिकारियों का बखूबी साथ मिला जिनकी मदद से जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त करने और उसके बाद सुरक्षा व्यवस्था संभालने में मदद मिली.

Advertisement
X
एनएसए अजीत डोभाल (IANS)
एनएसए अजीत डोभाल (IANS)

Advertisement

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल आजकल काफी व्यस्त हैं. उनके कंधों पर सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी है. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद यह जिम्मेदारी और बढ़ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सपनों को साकार करने के लिए वे दिन-रात एक किए हुए हैं. इन दोनों नेताओं का मुख्य एजेंडा ये है कि किसी भी सूरत में जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्वक सुरक्षा का माहौल कायम हो. हालांकि इतने बड़े काम में अजीत डोभाल अकेले नहीं है, उनके साथ एक बड़ी टीम है.

'इंडिया टुडे' को मिली जानकारी के मुताबिक अजीत डोभाल की टीम अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद हर एक पहलू पर नजर बनाए हुए है. आइए जानें इस टीम में कौन कौन है-

जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम: केंद्र की ओर से जम्मू कश्मीर में इन्हें जब से जिम्मेदारी मिली है, तब से वे अथक मेहनत कर रहे हैं. इन्हें जम्मू कश्मीर और प्रधानमंत्री कार्यालय के बीच समन्वय का जिम्मा दिया गया है. सुब्रह्मण्यम फिलहाल खाद्य आपूर्ति का काम भी देख रहे हैं ताकि प्रतिबंध झेल रहे लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत न आए.

Advertisement

के विजय कुमार: कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन को मौत के घाट उतारने वाले विजय कुमार को राज्यपाल शासन के अंतर्गत सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा मिला है. अर्धसैनिक बलों और प्रदेश के पुलिस अधिकारियों के बीच सामंजस्य बिठाने का जिम्मा भी इन्हीं के नाम है. विजय कुमार प्रदेश के अलग अलग नेताओं और प्रतिनिधियों से भी मिल रहे हैं और उनकी राय ले रहे हैं. जम्मू कश्मीर की जेलों में बंद आतंकियों को देश के दूर दराज इलाकों में भेजने का बड़ा काम भी इन्हीं की देखरेख में संपन्न हुआ.

डीजीपी दिलबाग सिंह: प्रदेश पुलिस महकमे के प्रमुख दिलबाग सिंह का मुख्य काम पुलिस बल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना और पुलिसकर्मियों के जज्बे को ऊंचाई देना है. संदिग्ध पुलिस अधिकारियों को पहचानने और उनके मंसूबों को नाकाम करने में भी दिलबाग सिंह ने अहम भूमिका निभाई है. भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के साथ भी इन्होंने तालमेल बनाए रखा है ताकि हर स्तर पर इंटेलिजेंस इनपुट का आदान-प्रदान हो सके.

एनएसए अजीत डोभाल को इन अधिकारियों का बखूबी साथ मिला जिनकी मदद से जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त करने और सुरक्षा व्यवस्था संभालने में मदद मिली. जम्मू कश्मीर पुलिस के आकलन के आधार पर ही तय किया गया कि विदेशी पर्यटकों को वापस लौटाया जाए और वहां की अलग अलग जेलों में बंद आतंकियों और अलगाववादियों को प्रदेश से बाहर की जेलों में शिफ्ट किया जाए. बड़े बड़े ओवरग्राउंड वर्कर्स को भी पकड़ा गया और उन्हें बाहर की जेलों में भेजा गया.

Advertisement

कई दौर की बातचीत के बाद राज्यपाल ने तय किया कि प्रदेश में रणनीति बदलेगी और सरकार श्रीनगर से लेकर जम्मू और लद्दाख पर फोकस करेगी. अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास कार्य कैसे संपन्न कराए जाएं, इसके लिए टीम डोभाल के अहम अधिकारी बीआर सुब्रह्मण्यम और दिलबाग सिंह दोनों संघ शासित प्रदेशों के अलग अलग हिस्सों का दौरा करेंगे और रायशुमारी करेंगे.

एनएसए अजीत डोभाल 6 अगस्त से जम्मू कश्मीर दौरे पर हैं. सुरक्षा बलों और प्रदेश पुलिस के साथ वे हमेशा संपर्क में हैं और उनका आत्मविश्वास हमेशा बनाए रखने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं. अपनी पहली बैठक में उन्होंने जम्मू कश्मीर के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की. यहीं नहीं, ईद के दिन उनके साथ लंच भी किया.  

Advertisement
Advertisement