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सीबीआई के बिना लोकपाल मंजूर नहीं: अन्‍ना

टीम अन्ना ने लोकपाल विधेयक को लेकर अपनी रणनीति पर विचार-विमर्श किया. वहीं दूसरी ओर सरकार विधेयक को संसद के समक्ष पेश करने से पहले इसे अंतिम रूप देने पर काम कर रही है.

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टीम अन्ना ने लोकपाल विधेयक को लेकर अपनी रणनीति पर विचार-विमर्श किया. वहीं दूसरी ओर सरकार विधेयक को संसद के समक्ष पेश करने से पहले इसे अंतिम रूप देने पर काम कर रही है.

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टीम अन्ना के एक सदस्य ने कहा कि अन्ना हजारे पक्ष ने सरकार के कदमों की पृष्ठभूमि में बनी परिस्थिति पर चर्चा की. सदस्य ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं होने की स्थिति में 27 दिसंबर से अन्ना हजारे के अनशन की तैयारियों का भी जायजा लिया.

इस बीच हजारे दिल्ली आने की अपनी योजना में बदलाव करते हुए अपने पैतृक गांव रालेगण सिद्धी के लिए रवाना हो गये जहां वह अगले तीन-चार दिन रुकेंगे. हजारे के करीबी सहयोगी सुरेश पठारे ने कहा कि हजारे रालेगण सिद्धी पहुंच गये हैं और अगले तीन से चार दिन यहां रुकेंगे.

हजारे ने आज अपना हैदराबाद का कार्यक्रम रद्द कर दिया और वह इन अटकलों के बीच दिल्ली जाना चाहते थे कि संसद में लोकपाल विधेयक पेश किया जा सकता है.74 वर्षीय हजारे संसद में लोकपाल विधेयक पेश किये जाते वक्त दर्शक दीर्घा में बैठना चाहते हैं.

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उधर टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी ने कहा कि सीबीआई को स्वतंत्र करने में सीबीआई की अनिच्छा उसके अतीत को बचाने के लिहाज से दिखाई देती है. उन्होंने कहा, ‘लोग सीबीआई को प्रभावशाली बनाने की मांग कर रहे हैं नाकि उसे विभाजित करने की. सरकार के मूल मसौदे में मूल सीबीआई को उनके अधीन रखने की बात है. हो सकता है कि उसके अतीत को बचाने का प्रयास हो.’

किरण ने कहा, ‘सीबीआई के बिना कैसा लोकपाल? फिर लोकपाल की क्या जरूरत है. सरकार का मजबूत लोकपाल से क्या आशय है. अन्ना ने किसके लिए अनशन किया?’

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