टीम इंडिया के कोच गैरी कर्स्टन ने कहा है कि टीम इंडिया के कई क्रिकेटरों से बेहतर फिटनेस उनकी है. उन्होंने आठ खिलाड़ियों की फिटनेस पर सवाल उठाया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कर्स्टन बीसीसीआई को अपनी रिपोर्ट सौंपने वाले हैं, जिसमें वो खिलाड़ियों की ख़राब फिटनेस से लेकर नाइटलाइफ तक का विस्तार से ब्योरा देंगे. कर्स्टन के मुताबिक टीम में तीन खिलाड़ी तो ऐसे हैं जिनकी फिटनेस इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के काबिल बची ही नहीं है.
गैरी कर्स्टन ने कहा है कि वो टीम इंडिया के 8 खिलाड़ियों से ज्यादा फिट हैं. जिन खिलाड़ियों से ये उम्मीद की जाती है कि वो देश की मान-मर्यादा बढाएंगे, अच्छा खेल दिखाकर देश का नाम रौशन करेंगे वो इतने अनफिट हैं कि 42 साल के अपने कोच गौरी कर्स्टन की बराबरी तक नहीं कर सकते.
गैरी कर्स्टन ने ये भी खुलासा किया है कि कई खिलाड़ी अनुशासन की धज्जियां उड़ाते रहे हैं. कोच के मुताबिक ज्यादातर खिलाड़ियों का वजन बढ़ा हुआ है, नाइटलाइफ के लिए इनकी ललक ने इनपर चर्बी चढ़ाई है. कोच ने बकायदा ऐसे खिलाड़ियों की एक लिस्ट बनाई है. वो एक मुक्कमिल रिपोर्ट बासीसीआई के आला अधिकारियों को देंगे.
ख़बरों के मुताबिक गैरी कर्स्टन ने फिटनेस के मामले में युवराज सिंह की क्लास लगाई. उन्होंने पूछा कि ये क्या हाल बना रखा है. और तो और रोहित शर्मा की भी फिटनेस का इतना बुरा हाल है कि गैरी को खरी-खोटी सुनानी पड़ी. क्लास जहीर की भी लगी. उनकी गेंदबाज़ी पूरे दुनिया को बता रही थी कि ज़हीर में कहीं कुछ गड़बड़ है, कोच ने इस गड़बड़ी को भी बता दिया है.
मौज मस्ती में मशगूल रहने वाले क्रिकेटरों को गैरी ने साफ तौर पर कह दिया है कि एक महीने में फिटनेस सुधारें या बाहर बैठें. बताया जा रहा है कि एक महीने का अल्टीमेटम दिया है गैरी ने क्रिकेट के शहजादों को. लेकिन अल्टीमेटम भर से इनका क्या होगा? क्या ये सुधर जायेंगे? और वैसे भी गैरी इनका क्या बिगाड़ लेगें?
आखिर सलेक्श्न में उनका रोल ही क्या है. टी-20 वर्ल्ड कप की टीम चुने जाने में उनकी सलाह तक नहीं ली गई. टी-20 के लिए टीम चुनते वक्त सलेक्टरों ने कोच की राय तक नहीं ली. यानी गड़बड़ी एक जगह नहीं है, गड़बड़ी कई स्तरों पर है. गैरी एक ड्राफ्ट तैयार कर रहे हैं जिसे वो बीसीसीआई के आला अधिकारियों को भेंजेंगे. क्या उसपर अमल होगा, ये कहना बहुत मुश्किल है. फिर सवाल गैरी कर्स्टन पर भी उठते हैं कि इतने दिनों से वो क्या कर रहे थे, खिलाड़ियों को अनुशासन में रखना क्या कोच का काम नहीं..जब खिलाड़ी सारी हदें पार कर रहे थे तबही उन्होंने आवाज बुलंद क्यों नहीं की.