लोकसभा चुनाव के बाद बनी नई सरकार के संसद का पहला सत्र शुरू हो चुका है. जिसमें आज शुक्रवार को लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद तीन तलाक बिल पेश करेंगे. पीएम मोदी के नेतृत्व की केंद्र सरकार की ओर से 17वीं लोकसभा के पहले सत्र का यह पहला बिल होगा.
वहीं मोदी सरकार के जरिए अपने कार्यकाल में भी तीन तलाक पर बिल लाया गया था. एक तरफ तीन तलाक बिल को लेकर सरकार को समर्थन मिल रहा है तो दूसरी तरफ बिल पर विरोध भी जताया जा रहा है.
मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन का कहना है कि तीन तलाक और निकाह हलाला पर कानून बनाना शरीयत में दखलअंदाजी है और इससे धार्मिक स्वतंत्रता को ठेस पहुंचेगी.
बिल के विरोध में कांग्रेस
कांग्रेस ने कहा है कि वह संसद में तीन तलाक विधेयक का विरोध करेगी. कांग्रेस ने कहा कि विधेयक के कुछ प्रावधानों पर चर्चा की जरूरत है. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'तीन तलाक पर हमने कुछ बुनियादी मुद्दे उठाए हैं. सरकार कई बिंदुओं पर सहमत हुई है.' उन्होंने कहा, 'बहुत सारा समय बच सकता है. अगर सरकार हमारे पहले के बिंदुओं पर सहमत हो गई होती.' सिंघवी का कहना है, 'अभी भी एक या दो बिंदु बचे हैं और उन बिंदुओं पर चर्चा की जरूरत है. हम इसका (विधेयक का) विरोध करेंगे.' वहीं सरकार की सहयोगी जनता दल युनाइटेड भी इस विधेयक के खिलाफ है.
इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी थी. यह फरवरी में घोषित किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा. सरकार का कहना है कि यह विधेयक लैंगिक समानता और लैंगिक न्याय सुनिश्चित करेगा. यह शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करेगा और 'तलाक-ए-बिद्दत' से तलाक को रोकेगा.