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हैदराबाद या भाग्यनगर... पढ़ें- तेलंगाना की राजधानी के नाम पर बवाल के पीछे क्या है इतिहास

तेलंगाना में विधानसभा चुनाव का प्रचार आखिरी दौर में है. इस बीच तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने पर भी सियासत जोरों पर है. तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी ने कहा कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर कर दिया जाएगा.

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बीजेपी का कहना है कि अगर वो सत्ता में आई तो हैदराबाद का नाम भाग्यनगर कर दिया जाएगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
बीजेपी का कहना है कि अगर वो सत्ता में आई तो हैदराबाद का नाम भाग्यनगर कर दिया जाएगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद का नाम क्या हो? हैदराबाद या फिर भाग्यनगर? बीजेपी ने वादा किया है कि अगर तेलंगाना में उसकी सरकार आती है, तो हैदराबाद का नाम बदलकर 'भाग्यनगर' कर दिया जाएगा.

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तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष और सांसद जी. किशन रेड्डी ने कहा, 'हैदराबाद का नाम क्यों नहीं बदलना चाहिए? कौन है हैदर? किधर से आया हैदर? हैदर का नाम जरूरी है क्या? भाग्यनगर पुराना नाम है. निजाम के जमाने में नाम बदला गया था. हमारे सत्ता में आने के बाद हम हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करेंगे.'

जी. किशन रेड्डी से पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने भी हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की बात कही थी.

इतना ही नहीं, पिछले साल हैदराबाद में जब बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद को 'भाग्यनगर' ही कहा था.

पीएम मोदी ने कहा था, 'हैदराबाद भाग्यनगर है, जो हम सभी के लिए अहमियत रखता है. सरदार पटेल ने अखंड भारत की नींव यहीं रखी थी और अब इसे आगे ले जाने की जिम्मेदारी भाजपा की है.'

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ऐसे में मन में सवाल आता है कि क्या वाकई हैदराबाद का नाम कभी भाग्यनगर हुआ करता था? अगर हां तो इसके पीछे क्या तर्क हैं?

इतिहास क्या है?

15वीं सदी में तेलंगाना क्षेत्र में अशांति बढ़ गई थी. तब सुल्तान मुहम्मद शाह बहमनी II ने सुल्तान कुली कुत्ब-उल-मुल्क को यहां भेजा. सुल्तान कुली ने क्षेत्र में फैल रही अशांति को शांत किया और प्रशासक बन गया. सुल्तान कुली ने गोलकुंडा के काकतीय पहाड़ी इलाके में एक बेस बनाया. सदी के आखिर तक सुल्तान कुली ने गोलकुंडा से तेलंगाना क्षेत्र के सूबेदार यानी गवर्नर के रूप में काम किया.

बहमनी सल्तनत तेलंगाना क्षेत्र में फैलती जा रही थी. 1518 तक बहमनी सल्तनत अहमदनगर, बरार, बीदर और बीजापुर तक फैल गई थी. तब सुल्तान कुली ने बहमनी सल्तनत से गोलकुंडा की आजादी मांगी और 'सुल्तान कुली कुतुब शाह' की उपाधि के साथ गोलकुंडा सल्तनत की स्थापना की. सुल्तान कुली ने गोलकुंडा के मिट्टी के किले का पुनर्निर्माण करवाया और इस शहर का नाम मुहम्मद नगर रखा.

हैदराबाद या भाग्यनगर?

1591 में कुतुब शाही वंश के पांचवें शासक मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने गोलकुंडा में होने वाली पानी की कमी को दूर करने के लिए मूसी नदी के किनारे एक शहर बसाया. इसे ही आज का हैदराबाद कहा जाता है.

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कहा जाता है कि मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने जो शहर बसाया था, 1596 में उसका नाम 'फरखुंडा बुनियाद' रखा गया था. ये एक फारसी शब्द है, जिसका मतलब होता है- 'लकी सिटी'.

ऐसी दलील दी जाती है कि संस्कृत शब्द 'भाग्य' का इस्तेमाल फरखुंडा बुनियाद के लिए किया जाने लगा. इस वजह से ये फारसी नाम से संस्कृत-तेलुगु में 'भाग्य नगरम' बन गया.

भागमति या भाग्यमति का भी दिया जाता है तर्क

जब-जब हैदराबाद के भाग्यनगर नाम किए जाने की चर्चा होती है, तो एक तर्क 'भागमति' या 'भाग्यमति' का भी दिया जाता है.

कहा जाता है कि भागमति या भाग्यमति असल में एक स्थानीय नर्तकी थीं. कुछ इतिहासकारों के मुताबिक, भाग्यमति सुल्तान के यहां नृत्य करने जाती थीं. इसी दौरान सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह को भाग्यमति से प्यार हो गया. 

ऐसा कहा जाता है कि मुहम्मद कुली भाग्यमति से अक्सर मिलने जाया करते थे. बाद में मुहम्मद कुली ने भाग्यमति से शादी कर ली. भाग्यमति ने इस्लाम कुबूल कर लिया और उसका नाम बदलकर हो गया हैदर महल. 

हालांकि, इसके कुछ पुख्ता सबूत नहीं हैं. और कई इतिहासकार इस कहानी को खारिज भी कर देते हैं. लेकिन मुहम्मद कुली के दरबारी कवि मुल्ला वजही ने अपनी किताब 'कुतुब मुश्तरी' में इस प्रेम कहानी का जिक्र किया. कुतुब मुश्तरी के मुताबिक, एक रोज राजकुमार कुली ने सपने में भाग्यमति को देखा. नींद से उठने के बाद वो उसकी तलाश में गए और भाग्यमति उन्हें मिली.

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तर्क दिया जाता है कि जब मुहम्मद कुली भाग्यमति के प्यार में थे, तो उन्होंने शहर का नाम भाग्यनगर कर दिया था. हालांकि, बाद में जब भाग्यमति इस्लाम कुबूल कर हैदर महल बन गईं, तो उनके सम्मान में शहर का नाम हैदराबाद कर दिया गया.

क्या भाग्यमति सच में थीं?

भाग्यमति और मुहम्मद कुली की प्रेम कहानी को ज्यादातर इतिहासकार कोरी कल्पना बताते हैं.

हैदराबाद की उत्पत्ति पर रिसर्च कर चुके रिटायर्ड कैप्टन पांडुरंगा रेड्डी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि हैदराबाद कभी भाग्यनगर था और मुहम्मद कुली ने अपनी प्रेमिका के नाम पर इसका नाम रखा था, ये महज एक कल्पना है.

इस तर्क को काल्पनिक बताने के लिए रेड्डी बताते हैं, 'कहा जाता है कि मुहम्मद कुली कुतुब शाह के पिता इब्राहिम कुतुब शाह ने प्रसिद्ध पुराना पुल बनवाया था. इस पुल के जरिए मुहम्मद कुली भाग्यमति से मिलने जाता था. लेकिन ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि ये पुल 1578 में बना था, जबकि मुहम्मद कुली कुतुब को 1580 में गद्दी मिली थी और तब उसकी उम्र मात्र 14 साल थी. तो उस समय भाग्यमति की उम्र क्या होगी?'

इतिहासकार भाग्यमति और हैदराबाद या भाग्यनगर की थ्योरी को काल्पनिक ही मानते हैं. उनका मानना है कि 1940 के दशक में ये बात फैलनी शुरू हुई और फिर ये लोककथा बन गई.

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निजाम का राज...

सितंबर 1687 में मुगल साम्राज्य औरंगजेब ने गोलकुंडा सल्तनत पर कब्जा कर लिया. 1707 में औरंगजेब की मौत हो गई. 1714 में मुगल शासक फर्रुखसियार ने मीर कमर-उद-दीन सिद्दीकी को यहां का वायसराय नियुक्त किया और उसे 'निजाम' की उपाधि दी.

सन 1724 में मीर कमर-उद-दीन सिद्दीकी ने मुबारिज खान को हराकर हैदराबाद का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया. इसके बाद मुगल शासक मुहम्मद शाह ने मीर कमर को 'असफ जाह' की उपाधि दी. ये एक तरह से नया राजवंश था, जिसने 1948 तक हैदराबाद पर राज किया.

हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली खान थे. 1947 में आजादी मिलने के बाद निजाम ने हैदराबाद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया. उन्होंने भारत या पाकिस्तान, किसी के साथ भी मिलने से इनकार कर दिया.

आखिरकार भारतीय सेना हैदराबाद में घुस गई. 16 सितंबर 1948 को ऑपरेशन पोलो शुरू किया गया. चार दिन तक चली लड़ाई के बाद निजाम ने भारत में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए.

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