तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव सोमवार को शहीद कर्नल संतोष बाबू के परिवार वालों से मिलने सूर्यपेट स्थित उनके घर पहुंचे. मुख्यमंत्री के साथ कई अन्य मंत्री भी शहीद के घर पहुंचे और उनके तस्वीर पर फूल चढ़ाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. बाद में सभी लोगों ने लद्दाख में चीनी सेना के साथ खूनी झड़प में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू की पत्नी संतोषी, माता-पिता और बहन श्रुति को सांत्वना दी. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने शहीद कर्नल के बच्चों अभिज्ञा, अनिरुद्ध तेजा से बात की. सीएम ने कर्नल संतोष बाबू को देश की सुरक्षा के लिए अपना बहुमूल्य जीवन बलिदान करने के लिए सलाम किया.
सीएम ने कहा कि संतोष बाबू के जाने से वह बहुत दुखी हैं. उन्होंने परिवार वालों को आश्वासन देते हुए कहा कि वे हर समय कर्नल संतोष बाबू के परिजनों के साथ खड़े हैं. उन्हें कभी भी किसी चीज की जरूरत महसूस हो तो वो सीधे उनसे संपर्क कर सकते हैं. सीएम ने वहां मौजूद मंत्री जगदीश रेड्डी से परिवार की देखभाल करने का आग्रह किया है.
इस मौके पर सीएम ने अपने हाथों से शहीद संतोष बाबू की पत्नी संतोषी को ग्रुप वन अफसर दर्जे की नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र सौंपा. इसके साथ ही हैदराबाद के बंजाराहिल्स में 711 गज की जमीन के दस्तावेज भी संतोषी को सौंपे गए. सीएम ने संतोषी को 4 करोड़ रुपये और कर्नल संतोष के माता-पिता को एक करोड़ रुपये का चेक दिया.
तेलंगाना के सूर्यापेट जिले के रहने वाले कर्नल संतोष बाबू 16-बिहार रेजिमेंट में थे और चीनी सीमा पर पिछले डेढ़ साल से तैनात थे. 15 जून की रात उन्नीस जवानों के साथ लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के साथ लोहा लेते हुए कर्नल संतोष बाबू शहीद हो गए थे. कर्नल संतोष बाबू भारतीय सैनिकों का नेतृत्व कर रहे थे. चीनी सैनिकों के साथ बातचीत करने की कोशिश करते हुए, वह विनम्र जरूर थे लेकिन वो बहुत दृढ़ थे. चीनी सैनिकों द्वारा पथराव से गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, वो वहां से हटे नहीं बल्कि उन्होंने टीम का नेतृत्व करते हुए जोरदार सामना किया.
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कर्नल संतोष बाबू ने चीनी सैनिकों के पैर उखाड़ दिए
गलवान नदी के किनारे बना चीन का एक निगरानी पोस्ट भारत की सीमा में था, जिसे हटाने को लेकर चीन की सेना के साथ समझौता भी हो गया था. बातचीत के कुछ दिन बाद चीन ने इस पोस्ट को हटा दिया था. 14 जून की आधी रात चीन ने फिर उसी जगह अपना पोस्ट खड़ा कर दिया.
15 जून की शाम 5 बजे कर्नल संतोष बाबू खुद उस कैंप के पास बात करने पहुंचे. इस दौरान 16 बिहार रेजिमेंट में गरमागर्मी का माहौल था. यूनिट के युवा सिपाही नाराज थे और वे खुद चीन के उस विवादित पोस्ट को उखाड़ फेंकना चाहते थे. लेकिन कर्नल बाबू ने तय किया वे चीन के उस पोस्ट तक खुद जाएंगे.
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15 जून को शाम 7 बजे कर्नल बाबू अफसरों और जवानों की 35 लोगों की एक टीम के साथ पैदल ही उस पोस्ट पर पहुंचे. कर्नल बाबू ने बातचीत शुरू की तभी चीनी सेना के एक जवान ने कर्नल बाबू को पीछे से धक्का दे दिया. चीनी सैनिकों ने अपमानजनक शब्दों का भी प्रयोग किया.
इस घटना के बाद भारतीय टीम भी चीनियों पर टूट पड़ी. ये लड़ाई मुक्के और घूंसों की थी. 30 मिनट तक चली इस लड़ाई में दोनों ओर से लोग चोटिल हुए. 16 बिहार रेजिमेंट के शूरवीर जवानों ने उस पोस्ट को तोड़ दिया.
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खतरा भांप गए थे कर्नल बाबू
इस घटना के तुरंत बाद कर्नल बाबू ने भारत के जख्मी सिपाहियों को वापस पोस्ट पर भेज दिया और कहा कि पोस्ट से और ज्यादा जवान भेजें.
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कर्नल बाबू को जो अंदेशा था वो सच साबित हुआ. चीन के नए सैनिक नदी के किनारों पर पोजिशन लेकर इंतजार कर रहे थे. जैसे ही भारतीय सैनिक वहां पहुंचे उनपर बड़े-बड़े पत्थर बरसने लगे. रात को 9 बजे के करीब कर्नल बाबू के सिर से एक बड़ा पत्थर टकराया और वे गलवान नदी में गिर गए.