कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों द्वारा आंध्र प्रदेश से पृथक तेलंगाना राज्य बनाने को मंजूरी दिए जाने के एक दिन बाद ही अलग गोरखालैंड राज्य की अपनी मांग के लिए दबाव बनाने की खातिर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने दार्जिलिंग पहाड़ियों में शनिवार से अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है.
पार्टी की कोर समिति की बैठक के बाद बुधवार को जीजेएम महासचिव और प्रवक्ता रोशन गिरि ने कहा, ‘यदि तेलंगाना राज्य बन सकता है तो गोरखालैंड क्यों नहीं ? हमारी मांग है कि हमारी 107 वर्ष पुरानी वैध मांग (पृथक राज्य की मांग) को पूरा किया जाए.’ उन्होंने कहा, ‘दार्जिलिंग कभी भी पश्चिम बंगाल में नहीं था. स्वतंत्रता पूर्व के भारत में यह सिक्किम और भूटान के अंतर्गत था. इसलिए बंगाल के विभाजन का प्रश्न ही नहीं है.’
गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के सीईओ और जीजेएम प्रमुख बिमल गुरूंग ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया है. फिलहाल जीजेएम सदस्य जीटीए में बने रहेंगे. इसके अलावा यहां से तीन विधायकों सहित पार्टी के छह सदस्य शुक्रवार को दिल्ली जाएंगे जहां वे विभिन्न दलों के सांसदों से मिलकर उन्हें गोरखालैंड की मांग से अवगत कराएंगे. छह सदस्यीय दल में जीजेएम महासचिव और प्रवक्ता रोशन गिरि के अलावा त्रिलोक दीवान (दार्जिलिंग के विधायक), हर्काबहादुर छेत्री (कालिंपोंग के विधायक), रोहित शर्मा (कुर्सेओंग के विधायक), डी. के. प्रधान और अमर राय शामिल होंगे.
बिमल गुरूंग ने कहा, ‘हम गोरखालैंड राज्य के लिए लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं. यदि राज्य सरकार दमन करती है तो हम आंदोलन तेज करेंगे. हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे. किसी भी कीमत पर, हमारे गोरखालैंड की प्राप्ति तक हम हर बलिदान देंगे.’
कांग्रेस द्वारा दार्जिलिंग आंदोलन को उकसाने की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों को गिरि ने ‘असत्य’ करार दिया. जीजेएम महासचिव और प्रवक्ता रोशन गिरि ने कहा, ‘कांग्रेस ने हमें नहीं उकसाया है. गोरखा बहुत शांति-प्रिय लोग हैं. लेकिन हमें कोई पहचान नहीं मिली है, विभिन्न युद्धों में हमारे बलिदान के बावजूद हमें राज्य नहीं मिला है.’
गिरि ने पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाया कि उसने गुरूंग को जीटीए के सीईओ पद से इस्तीफा देने के लिए ‘मजबूर’ किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कभी भी जीटीए को ठीक से काम नहीं करने दिया और गृह तथा वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग उसे कभी नहीं सौंपे. उन्होंने कहा कि जीटीए में शामिल जीजेएम के सदस्य गुरूंग की इच्छा के अनुसार ‘किसी वक्त, किसी दिन’ इस्तीफा देने को तैयार हैं. अनिश्चितकालीन बंद के मद्देनजर गिरि ने कहा कि चाय और सिनकोना फैक्टरियों को सामान्य तरीके से कामकाज करने की छूट होगी.
उन्होंने कहा कि पहाड़ी इलाके में कल से दो दिन के लिए जीजेएम की ओर से कोई बंद नहीं होगा और छात्रावास में रहने वाले छात्रों, घरेलू पर्यटकों और विदेशी पर्यटकों को इस दौरान यहां से चले जाना चाहिए.
गोरखालैंड की मांग को लेकर जीजेएम की ओर से दार्जिलिंग पहाड़ में बुधवार को बंद का तीसरा दिन शांतिपूर्ण रहा. शैक्षिक संस्थान, सरकारी व निजी कार्यालय और बैंक भी बंद रहे. हालांकि, गाडियां चलीं क्योंकि जीजेएम ने गाड़ियों की आवाजाही को छूट दी थी. इस बीच शिवसेना ने गोरखालैंड मांग के विरोध में एक अगस्त से सिलीगुड़ी में दो दिवसीय बंद का आह्वान किया है. पार्टी का कहना है कि वह बंद के दौरान सिलीगुड़ी से पहाड़ की ओर जाने वाले खाद्य पदार्थों की आवाजाही को रोकेगी. सिलीगुड़ी दार्जिलिंग पहाड़ियों और सिक्किम के लिए संपर्क मार्ग का काम करता है.