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आंध्र प्रदेश का पीछा नहीं छोड़ रहा तेलंगाना का मुद्दा

केंद्र और कांग्रेस को तेलंगाना की मांग पर फैसले की घोषणा से कौन रोक रहा है? आंध्र प्रदेश के कांग्रेसियों के पास इस सवाल के कई जवाब हैं जो पिछले काफी समय से राज्य का पीछा नहीं छोड़ रहा है. उनका दावा है कि राज्य के बंटवारे के मुद्दे पर ‘पहले ही’ एक फैसला लिया जा चुका है लेकिन ‘केवल औपचारिक घोषणा लंबित है.’

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केंद्र और कांग्रेस को तेलंगाना की मांग पर फैसले की घोषणा से कौन रोक रहा है? आंध्र प्रदेश के कांग्रेसियों के पास इस सवाल के कई जवाब हैं जो पिछले काफी समय से राज्य का पीछा नहीं छोड़ रहा है. उनका दावा है कि राज्य के बंटवारे के मुद्दे पर ‘पहले ही’ एक फैसला लिया जा चुका है लेकिन ‘केवल औपचारिक घोषणा लंबित है.’

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सत्तारूढ़ दल नये राज्य को बनाये जाने के फैसले को मान भी लेता है तो वह अपनी चुनावी संभावनाओं के बारे में आश्वस्त नहीं है क्योंकि सत्ता विरोधी लहर कथित रूप से बहुत मजबूत है. समीक्षकों का मानना है कि कांग्रेस इस बात को लेकर भी बहुत आश्वस्त नहीं है कि अलग राज्य बनने पर तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रस्तावित विलय से कोई फायदा होगा.

इस बात के भी संकेत मिले हैं कि के चंद्र शेखर राव का अब रुझान राजग की ओर हो गया है और बीजेपी ने नये राज्य के गठन पर स्पष्ट रुख अख्तियार किया है जबकि कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में आ गई है. उधर तेलंगाना क्षेत्र में वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष वाई एस जगन मोहन रेड्डी के पक्ष में एक ‘मूक लहर’ चल रही है जो एक चिंता का सबब बन गई है.

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नेताओं के साथ बातचीत में शामिल तेलंगाना के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इन जमीनी परिस्थितियों को देखते हुये हमारा आला कमान तेलंगाना पर फैसला लेने की स्थिति में नहीं है. वह विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है जिससे कम से कम नुकसान हो.’

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