यूपीए की समन्वय समिति और कांग्रेस कार्य समिति द्वारा आंध्र प्रदेश में पृथक तेलंगाना राज्य के गठन को स्वीकार कर लेने के बाद जहां तेलंगाना क्षेत्र में खुशी की लहर है, वहीं सीमांध्र (तटीय आंध्र प्रदेश और रायलसीमा) में इसके विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
उधर, तेलंगाना पर यूपीए और कांग्रेस के इस निर्णय के बाद कई अन्य राज्यों में भी ऐसी मांग शुरू हो गई है. पश्चिम बंगाल में अलग गोरखालैंड, असम में बोडोलैंड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी चार अलग राज्यों के गठन की मांग फिर जोर पकड़ने लगी है. इस बीच, विभिन्न विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार व कांग्रेस पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया.
सड़कों पर गाड़ियां नदारद रहीं तो दुकानें, व्यवासायिक प्रतिष्ठान और शिक्षण संस्थान भी बंद रहे. प्रदर्शनकारियों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुतले भी जलाए गए. समैक्य आंध्र (युनाइटेड आंध्र ज्वाइंट एक्शन कमिटी) के आह्वान पर आयोजित बंद से विशाखापटनम, विजयनगरम, एलुरु, काकिनाड़ा, विजयवाड़ा, गुंटूर, नेल्लोर, ओंगोले, चित्तूर, तिरुपति, अनंतपुर, कडप्पा, कुरनूल और अन्य शहरों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ.
इस बीच, तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि नए तेलंगाना राज्य के गठन के बाद वह आंध्र प्रदेश की राजधानी के लिए हैदराबाद की तरह एक शहर का विकास करें. अलग तेलंगाना राज्य के लिए आंदोलन चलाने वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने हैदराबाद को अगले 10 साल के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्त राजधानी बनाने के फैसले का विरोध किया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के आंध्र प्रदेश मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने हैदराबाद को दो राज्यों- तेलंगाना और आंध्र प्रदेश- की संयुक्त राजधानी बनाने को जायज ठहराया.
तेलंगाना पर यूपीए के निर्णय ने उत्तरी बंगाल में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को तेज कर दिया है, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने अपनी मांग के समर्थन में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है. असम में भी कई संगठनों और समूहों ने अलग राज्य की अपनी मांग के समर्थन में बंद का आह्वान किया है.
ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने जहां बोडोलैंड के लिए अभियान तेज करने की बात कही है, वहीं ऑल कोच राजबोंगशी स्टूडेंट्स यूनियन (एकेआरएसयू) ने कोच राजबोंगशी समुदाय के लिए अलग कामतापुर राज्य की मांग की है. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती ने पृथक तेलंगाना को मंजूरी का स्वागत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को उत्तर प्रदेश के चार भागों- पूर्वांचल, बुंदेलखंड, पश्चिमी और हरित प्रदेश में विभाजन की प्रक्रिया भी शुरू कर देनी चाहिए, जिसकी अनुशंसा उनकी सरकार ने की थी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने इसे 'विभाजनकारी राजनीति' करार दिया. वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने इसे आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लिया गया फैसला बताया. कांग्रेस ने हालांकि इस फैसले का बचाव किया है. कांग्रेस के प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा, 'यह काफी समय से लंबित मांग पर लिया गया ऐतिहासिक निर्णय है. आंध्र प्रदेश में उत्साह की स्थिति है.'
उधर, नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नए राज्यों के गठन पर विचार-विमर्श के लिए दूसरे राज्य पुनर्गठन आयोग के निर्माण की आवश्यकता जताई. वहीं, हैदराबाद में मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआईएम) ने तेलंगाना राज्य की प्रथम भाषा उर्दू और दूसरी तेलुगू को बनाने की मांग की.