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इंडियन आर्मी की 10 खतरनाक गन जिनसे कांपते हैं दुश्मन

भारतीय वायु सेना ने एयर स्ट्राइक में खास मिसाइल का इस्तेमाल किया था. इसके बाद से दुश्मनों के खिलाफ भारतीय सुरक्षा बल जो हथियार इस्तेमाल करते हैं उसकी चर्चा चारों तरफ की जा रही है. भारतीय सेना को दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर आर्मी माना जाता है. सबसे मजबूत होने के नाते यह दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए सबसे खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करती है.

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भारतीय खतरनाक हथियार
भारतीय खतरनाक हथियार

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पुलवामा में आत्मघाती हमले के बाद भारत ने एयर स्ट्राइक की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एयर स्ट्राइक में खास मिसाइल का इस्तेमाल किया गया. इसके बाद से दुश्मनों के खिलाफ भारतीय सुरक्षा बल जो हथियार इस्तेमाल करते हैं उसकी चर्चा चारों तरफ की जा रही है. भारतीय सेना को दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर आर्मी माना जाता है. सबसे मजबूत होने के नाते यह दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए सबसे खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करती है. जिन खतरनाक गन और बंदूकों की वजह से भारतीय सेना सबसे शक्तिशाली मानी जाती है उनमें कुछ के बारे जानते हैं.    

 1.पिस्टल ऑटो 9एमएम 1ए

पिस्टल ऑटो 9एमएम 1ए को भारतीय सशस्त्र बलों में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है. इसे व्यापक रूप से भारतीय सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस  और राज्य पुलिस बलों में सर्विस  हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. यह सेमी ऑटोमेटिक और सेल्फ लोडिंग पिस्टल होती है जिसमें 9×19mm गोली इस्तेमाल की जाती है. इसकी मैगजीन में 13 राउंड गोली चलाने की क्षमता होती है. इसका निर्माण राइफल फैक्टरी ईशापुर में होता है.

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2.इंसास राइफल

इंसास राइफल का इस्तेमाल आर्मी के साथ ही अन्य सशस्त्र बल भी करते रहे हैं. इसका पूरा नाम इंडियन स्माल आर्म सिस्टम है. इसका कैलीवर 5.56MM है. इसका डिजाइन AK-47 की तर्ज पर किया गया है. इसे सबसे पहले 1998 की गणतंत्र दिवस में प्रदर्शित किया गया था. 1999 के  कारगिल युद्ध में सबसे पहले इस्तेमाल किया गया था. हालांकि इंसास रायफल का उत्पादन 1997 में ही शुरू हो गया था. यह अन्य हथियारों की तुलना में हल्का वह रिक्वायल एनर्जी कम होने के कारण हैंडलिंग और फायरिंग करने में आसान है.

 

3.एके-203 राइफल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेठी में आधुनिक क्लाशनिकोव-203 राइफलों के निर्माण के लिए बनी आयुध कारखाने का उद्घाटन किया था. एके-203 राइफलों से का इस्तेमाल आतंकियों और नक्सलियों से निपटने में किया जाएगा. यह राइफल इंसास राइफल की जगह लेगी. एके-203 राइफल, रूस की कंपनी के साथ मिलकर भारत में ही बनेगी. AK-203 राइफल AK-47 सीरीज का ही अडवांस वर्जन है. इसकी मैगजीन में तीस गोलियां आएंगी. यह इंसास राइफल के मुकाबले बहुत ज्यादा हल्की और छोटी होगी. इससे एक सेकंड में दस गोलियां चलेंगी. इससे एक मिनट में छह सौ गोलियां मारी जा सकेंगी.

4.एकेएम असाल्ट राइफल

एकेएम असाल्ट राइफल की तकनीक रूस से आयातित है. यह AK-47 का एडवांस और इम्प्रोव्ड वर्जन है. यह गन प्रति मिनट 600 राउंड फायरिंग करती है. इसका सेमी और फूली ऑटोमेटिक वर्जन उपलब्ध है. बंदूकों की AK श्रृंखला की दुनिया भर में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाली असॉल्ट राइफल है. इसका प्रयोग सेना, अर्द्धसैनिक बल, बीएसएफ, एनएसजी और अन्य सशस्त्र बल करते हैं.

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5. विध्वंसक एंटी मैटेरियल राइफल

विध्वंसक एंटी मैटेरियल एक स्वदेश निर्मित गन है जिसका इस्तेमाल ज्यादातर सीमा सुरक्षा बल के जवान करते हैं. इसका निर्माण ऑर्डिनेस फैक्टरी तिरुचिरापल्ली में किया जाता है. इसे दुश्मनों के बंकर, वाहन, रडार सिस्टम, संचार साधन और एयरक्राफ्ट को निशाना बनाने में किया जाता है. राइफल को मैगज़ीन फीड किया जाता है और मैनुअल बोल्ट एक्शन के माध्यम से पुनः लोड किया जाता है. यह 1800 मीटर की रेज तक कवर करती है.

6.ड्रेग्नोव एसवीडी 59 स्नाइपर राइफल

ड्रेग्नोव एसवीडी 59 स्नाइपर राइफल एक मानक स्नाइपर राइफल है. इसका इस्तेमाल खतरनाक दुश्मनों को निपटाने में किया जाता है. इस सोवियत मूल की राइफल का पहली बार शीत युद्ध के दौरान इस्तेमाल किया गया था. इस राइफल में 7.62 × 54 MM का कारतूस इस्तेमाल किया जाता है. इसमें 10-राउंड की मैगजीन लगती है. यह 800-900 मीटर के दायरे में दुश्मनों को निशाना बनाती है. इसे सशस्त्रों के आधुनिकीकरण करने के लिए सेना में शामिल किया गया है.

7. आईएमआई गैलिल 7.62 स्नाइपर राइफल

गैलिल इजरायल मिलिट्री इंडस्ट्रीज (IMI) द्वारा निर्मित बंदूक है. इस गन में 7.62×51 mm NATO कारतूस का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें 20 राउंड की मैगजीन लगती है. यह टैक्टिल सपोर्ट राइफल कैटेगरी का हथियार माना जाता है. इस गन का इस्तेमाल 25 देशों से अधिक की आर्मी में किया जाता है. खास कर भारतीय आर्मी में इसे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है.

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8. माउजर एसपी 66 स्नाइपर राइफल

माउजर एसपी 66 स्नाइपर राइफल जर्मनीमें निर्मित गन है. बोल्ट-एक्शन स्नाइपर राइफल है. यह एसपी 66 का मॉडल आम नागरिकों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गन की तरह है. यह हंटिंग राइफल से मिलता-जुलता है. यह  7.62x51mm NATO राउंड तक मार करती है. यह 800 मीटर तक मार सकती है. भारतीय सेना और स्पेशल आर्म्ड फोर्सेज करती हैं.

9.एसएएफ कार्बाइन 2 ए 1 सब मशीन गन

इसे सायलेंस गन माना जाता है. फायरिंग के दौरान इसकी आवाज कम होती है. इसके बैरल में सायलेंसर लगा होता है. कानपुर की ऑर्डिनेस फैक्टरी में इसका निर्माण किया जाता है. यह वजन में काफी हल्की होती है और इससे ऑटोमेटिक फायरिंग किया जा सकता है.  यह प्रति मिनट 150 राउंड की फायरिंग करती है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर आतंकवादी हमलों का मुकाबला करने के लिए विशेष बलों द्वारा किया जाता है. भारतीय सेना और भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो या MARCOS एसएएफ कार्बाइन 2 ए 1 सब मशीन गन का इस्तेमाल करते हैं.

10.NSV हैवी मशीन गन

इस गन का मॉडल रूस में तैयार किया गया है और इसका निर्माण तिरुचिरापल्ली के आयुध कारखाने में किया जाता है. इसका हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमानों को गिराने के लिए एंटी-एयरक्राफ्ट गन के तौर पर किया जाता है. इसमें 12.7×108 mm कारतूस इस्तेमाल किया जाता है और यह अपने दुश्मनों को सटीक तरीके से निशाना बनाता है. यह जमीन से 1500 मीटर ऊपर उड़ रहे विमानों को निशाना बना सकता है. यह 700-800 राउंड प्रति मिनट की दर से फायरिंग कर सकती है.

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