प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए जहां एक ओर विपक्षियों को नम्रता के साथ आड़े हाथों लिया वहीं दूसरी ओर अपने पास मौजूद टैलेंट के बलबूते विकास करने की बात कही. मोदी ने कहा कि चीन बूढ़ा हो रहा, भारत जवान. हम कितने सौभाग्यशाली हैं. हम उस युग में जीवित हैं, हम उस संसद में बैठे हैं, जब हिंदुस्तान दुनिया का सबसे नौजवान देश है. उन्होंने कहा कि जब मतदान हुआ, तब तक हम सब उम्मीदवार थे, लेकिन अब हम जनता की उम्मीदों के दूत हैं. मोदी ने कहा कि सुविधा दी जाए तो गांव विकास में ज्यादा योगदान देंगे. हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि गरीब के घर में शाम का चूल्हा जलना चाहिए. इसके अलावा मोदी के संसद में पहले भाषण की ये हैं खास दस बातें....
1. पिछले दिनों जो कुछ घटनाएं घटी हैं, हम सत्ता में हों न हों. पीड़ा देने वाली घटनाएं रहीं. चाहे पुणे की हत्या हो. चाहे उत्तर प्रदेश की हत्या हो या मंडी की घटना हो. ये सब घटनाएं आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करती हैं. सरकार को कठोरता से काम करना होगा. देश इंतजार नहीं करेगा. हमारी अपनी आत्मा माफ नहीं करेगी. मैं तो राजनेताओं से अपील करता हूं कि बलात्कार की घटनाओं का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करना बंद करें. हमें शोभा नहीं देता.
2. हमारी दुनिया में पहचान बन गई है, स्कैम इंडिया. हमारे देश की पहचान हमें बनानी है, स्किल इंडिया की और इस सपने को हम पूरा करेंगे, एक अलग मंत्रालय बनाकर. एंटरप्रेन्योरशिप और स्किल डिवेलपमेंट बनाकर. जिंदगी में गुजारा करने के लिए हुनर होना चाहिए, सिर्फ डिग्री से काम नहीं चलेगा. स्किल डिवेलपमेंट करना होगा.
3. मेरे मुसलमान भाई. जब मैं छोटा था, देखता था साइकिल रिपेयर कर रहे हैं. आज उनकी तीसरी पीढ़ी भी वही काम कर रही है. इसमें बदलाव के लिए हमें फोकस्ड एक्टिविटी करनी होगी. इसमें मैं तुष्टिकरण नहीं, बदलाव लाने के तौर पर देखता हूं. कोई भी शरीर, अगर एक भी अंग विकलांग हो, तो शरीर स्वस्थ नहीं हो सकता. अगर वह दुर्बल रहा, तो समाज सशक्त नहीं रह सकता.
4. महात्मा गांधी जी ने आजादी के आंदोलन को जनांदोलन बनाया. हम उनसे सीखें, प्रेरणा लें. हमें विकास को भी जन आंदोलन बनाना चाहिए. इसे सरकारी कार्यक्रम बनाएंगे, तो वही होगा जो आजादी के लिए लड़ने वालों के साथ पहले हुआ था. महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान था, जिसे इतिहास को स्वीकार करना होगा. कोई झाड़ू लगाता था, कोई सूत कातता था, कोई किसी को पढ़ाता था और हर कोई कहता था कि मैं आजादी के लिए काम कर रहा हूं. इसे अंग्रेज नहीं समझ पाए.
5. देश में हर किसी को लगना चाहिए कि मैं मेरे देश के लिए कर रहा हूं. खेत में किसान, काम करता मजदूर, पढ़ाता शिक्षक, हर कोई सोचे, मैं अपने देश के लिए कर रहा हूं. अगर मैं रास्ते पर कूड़ा भी नहीं फेंकता. समय पर नौकरी पर जाता हूं. तो ये सब भी देश की सेवा है. एक क्रिकेट के मैदान में पूरा देश भारत माता की जय कह खड़ा हो सकता है. तो देश के विकास के लिए भी खड़ा हो सकता है.
6. महाभारत काल पूरा हो चुका है. न पांडव बचे हैं, न कौरव बचे हैं. मगर जनमानस में हमेशा पांडवों की विजय का ही भाव रहा है. विजय हमें सिखाती है. हमें सीखना भी चाहिए. मैं इस सदन को विश्वास देता हूं. हमारे यहां जो सीनियर्स हैं, किसी भी दल के क्यों न हों. उनके आशीर्वाद से हम उस ताकत को प्राप्त करेंगे, जो हमें अंधकार से बचाए. हर पल नम्रता सिखाए.
7. गुजरात का दूसरा मॉडल ये है कि हिंदुस्तान के किसी भी कोने में अच्छा हो, उसे हम सीखें. आने वाले दिनों में हम उसे ले आगे बढ़ना चाहते हैं. जो अच्छा है, हम सबका है, उसे लेकर आगे बढ़ेंगे. कल तमिलनाडु की तरफ से बोला गया कि हमारा मॉडल गुजरात से अच्छा है. मैं स्वागत करता हूं. कम से कम विकास के मॉडल की बात और तुलना तो शुरू हुई.
8. बहन ममता जी, 34 साल की बुराई से राज्य को बाहर लाने के लिए कितनी मेहनत कर रही हैं. केरल से भी. वहां से मैंने एक जूनियर अफसर को बुलाया. हम सब स्टूडेंट की तरह बैठे, उन्होंने दो घंटे कुटुंब श्री योजना सिखाई. नागालैंड से अधिकारी आए. वहां की एक ट्राइबल योजना की हमें बारीकियां सिखाईं. यही चाहिए.
9. बड़े भाई का व्यवहार नहीं चलेगा. हम मिलकर देश बढ़ाएंगे, इसीलिए हमने सहकारिता के संगठन की बात कही. मुझे विश्वास है माननीय अध्यक्ष महोदया जी. मैं कह सकता हूं कि सार्थक और समर्थन में चर्चा रही है. आलोचना भी हुई है, तो अपेक्षा के संदर्भ में हुई है.
10. आज नए सदन में मुझे अपनी बात कहने का अवसर मिला. कहीं कोई शब्द इधर उधर हो गया हो. नियमों के बंधन में कमी रह गई हो. मैं क्षमा कहना चाहूंगा. हम मतदान के पहले उम्मीदवार थे. अब उम्मीदों के दूत और रखवाले हैं. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.