असम-नगालैंड सीमा पर मंगलवार को जमकर बवाल हुआ. नगालैंड की आर्थिक नाकेबंदी कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प इतनी हिंसक हुई कि पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी. केंद्र ने असम-नगालैंड सीमा के पास तैनाती के लिए करीब 1000 अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों को रवाना किया जहां पिछले हफ्ते नगालैंड के हथियारबंद समूहों ने असम में नौ लोगों की हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद असम के गोलाघाट जिले के सात गांवों के करीब 10 हजार लोग अपना घर छोड़कर भाग गए.
असम के गोलाघाट जिले में 12 अगस्त से सुलग रहे तनाव ने मंगलवार को विस्फोटक रूप ले लिया. असम की पुलिस ने लोगों पर फायरिंग की. इससे पहले पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं. पुलिस लाठीचार्ज और फायरिंग के बावजूद प्रदर्शनकारी डरे नहीं. लाठीचार्ज और फायरिंग में कई लोगों के जख्मी होने की खबर है जबकि पुलिस ने 16 लोगों को गिरफ्तार किया है.
दरअसल तनाव की शुरुआत 12 अगस्त को उस वक्त हुई थी जब नागालैंड सीमा पर बसे गोलाघाट में कुछ नगा उपद्रवियों ने हमला बोलकर असम के नौ लोगों को मौत के घाट उतार दिया था और करीब सौ घरों में आग लगा दी थी. गोलाघाट में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला मंगलवार सुबह से ही तेज हो गया था. प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर दिया और माल ले जा रहे ट्रकों को नगालैंड जाने से रोक दिया. पुलिस के जवान जब जाम खुलवाने पहुंचे तो पुलिस और प्रदर्शनकारियों में जमकर झड़प हुई.
नगा उपद्रवियों के हमले के खौफ से करीब 10 हजार लोगों ने घर छोड़ दिए. ये लोग उरियमघाट और सोरुपाथर के रिलीफ कैंप में शरण लिए हुए हैं. हमले से गुस्साए लोगों ने नागालैंड की आर्थिक नाकेबंदी का एलान कर दिया. सोमवार को जब असम के सीएम तरुण गोगोई उरियमघाट पहुंचे तो गुस्साए लोगों ने उन पर भी हमला बोल दिया था. लोगों ने 'सीएम गो बैक' के नारे लगाए. किसी तरह सुरक्षा बल के जवान उग्र भीड़ के बीच से गोगोई को निकालने में कामयाब हो पाए.
इस मुद्दे पर 21 अगस्त को असम के सीएम तरुण गोगोई और नागालैंड के सीएम टीआर जेलियांग की बीच बैठक होने वाली है. लेकिन तब तक गोलाघाट में हालात क्या मोड़ लेंगे, कहना मुश्किल है.
इस बीच, गृह मंत्रालय और असम सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक कर असम-नगालैंड सीमा के पास स्थिति की समीक्षा की और तनाव को खत्म करने के लिए हरसंभव कदम उठाने का फैसला किया. बैठक में हिंसा प्रभावित लोगों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए त्वरित कदम उठाने और लोगों में विश्वास बहाल करने के उपाय करने का निर्णय किया गया.