बिहार में मोक्ष की धरती के नाम से चर्चित गया को यूं तो भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन इन दिनों ये आतंकियों के निशाने पर है. बिहार की राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर दूर गया बीते कुछ सालों से आतंकियों के पनाहगार के रूप में जाना जाने लगा है. हालांकि 2013 के बोधगया में सीरियल धमाकों के बाद आतंकी किसी भी साजिश में सफल नहीं हो सके हैं.
गया जिले के मानुपर थाना क्षेत्र से 26 अगस्त को जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से जुड़े आतंकी मोहम्मद एजाज अहमद को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद आतंकी एजाज अहमद को कोलकाता पुलिस की टीम उसे लेकर पश्चिम बंगाल चली गई. पुलिस के मुताबिक, शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की पुलिस एजाज अहमद की निशानदेही पर और दो लोगों को गिरफ्तार करने यहां फिर से पहुंची थी, लेकिन वो दोनों फरार हो गए. हालांकि उनके घर से बम बनाने के सामान सहित और कई आपत्तिजनक सामान बरामद किए गए हैं.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, एजाज अहमद पश्चिम बंगाल का रहने वाला है जो जमात-उल-मुजाहिद्दीन का सक्रिय सदस्य है और अपना नाम बदल कर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ गया के पठान टोली में रहता था. इसकी सूचना कोलकाता पुलिस को लग गई थी. एजाज यहां गांव-गांव घूम-घूमकर कपड़ा बेचने का काम करता था. सूत्रों का दावा है कि इसकी आड़ में लोगों को आतंकी संगठन से जुड़ने के लिए युवकों को प्रेरित करता था.
ऐसा नहीं है कि यह पहला मामला है जब किसी आतंकी संगठन का सदस्य इस मोक्ष और ज्ञान की धरती से गिरफ्तार किया गया हो. साल 2013 में आतंकियों ने बोधगया के विश्व प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर को अपना निशाना बनाने की कोशिश की थी. आतंकियों ने मंदिर परिसर तथा आस-पास के क्षेत्र में एक के बाद एक बम धमाका कर इस क्षेत्र में आतंकियों के प्रवेश के संकेत दे दिए थे. हालांकि इसके बाद खुफिया तंत्र ने लगातार इस क्षेत्र पर अपनी निगाह रखी और सुरक्षाबलों को सफलता भी मिली. उसके बाद जनवरी 2018 में आतंकी संगठनों ने बोधगया क्षेत्र में चार बम लगाकर विस्फोट कराने की साजिश रची थी, परंतु सुरक्षा बलों की सतर्कता की वजह से वह कामयाब नहीं हो पाए थे और समय रहते ही सभी बमों को बरामद कर लिया गया.
वर्ष 2017 में एक साइबर कैफे संचालक की मदद से पुलिस ने आतंकवादी तौसीफ पठान उर्फ तौफीक खान को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार आतंकी पर 2008 में अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का आरोप था. इस घटना के बाद तौफीक भाग कर गया आया था और गणित का शिक्षक बनकर गया में रह रहा था. इसकी निशानदेही पर यहीं से सन्नी खां उर्फ शहंशाह को भी गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद उसी वर्ष यानी 2018 में सिविल लाइन के मारूफगंज से मोहम्मद अनवर और मोहम्मद सईद को गिरफ्तार किया गया. इन दोनों पर जम्मू एवं कश्मीर के आतंकियों को फंडिंग करने का आरोप लगा था.
वर्ष 2018 में ही आतंकी मुहम्मद गुलाम सरवर को भी गया के नीचमक बथानी थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था. उस पर कोलकता में अंधाधुंध गोलीबारी कर सुरक्षाकर्मियों की हत्या करने का आरोप था. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि विश्व प्रसिद्ध क्षेत्र होने के कारण सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं. गया के सहायक पुलिस अधीक्षक (नगर) मंजीत कुमार कहना है कि यहां असामाजिक तत्वों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है. उन्होंने कहा कि संदिग्ध लोगों पर नजर भी रखी जाती है.
गया व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ता मदन तिवारी कहते हैं कि यहां पर्यटकों की भीड़ रहती है, इस कारण आतंकियों को छिपने में आसानी होती है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि यहां आतंकियों की कोई भी चाल सफल नहीं होगी. उनका कहना है कि यही कारण है कि आतंकियों की गिरफ्तारी भी होती है.