scorecardresearch
 

'कैलकुलेटर' मोबाइल App के जरिए सेना की आंखों में धूल झोंक रहे हैं आतंकी

इस साल पीओके से घुसपैठ करने वाले आतंकियों की संख्या में बढ़ोतरी के बाद सेना ने पाया कि आतंकवादी स्मार्टफोन लेकर आए जिनमें कोई संदेश नहीं था.

Advertisement
X
एप से अपने आकाओं से संपर्क में रहते हैं आतंकी
एप से अपने आकाओं से संपर्क में रहते हैं आतंकी

Advertisement

जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के स्मार्टफोन में नया एप ‘कैलकुलेटर’ पाया गया है, जिससे उनको पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में बैठे अपने आकाओं से संपर्क में बने रहने और सेना की ओर से की जाने वाली तकनीकी निगरानी से बचने में मदद मिलती है.

इस साल पीओके से घुसपैठ करने वाले आतंकियों की संख्या में बढ़ोतरी के बाद सेना ने पाया कि आतंकवादी स्मार्टफोन लेकर आए जिनमें कोई संदेश नहीं था.

तकनीक को समझना मुश्किल
घुसपैठ करने वाले आतंकी समूहों की ओर से वायरलेस और मोबाइल फोन का इस्तेमाल किए जाने जैसी गतिविधियों पर तकनीकी नजर रखने का काम करने वाले सेना की सिग्नल यूनिट और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) और दूसरी एजेंसियों को आतंकवादियों की ओर से उपयोग में लाई जा रही प्रणाली तक पहुंचने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है.

Advertisement

इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल पहले अमेरिका में ‘कैटरीना’ चक्रवाती तूफान के दौरान एक कंपनी ने किया ताकि प्रभावित लोग एक-दूसरे से संपर्क में रह सकें.

नेटवर्क नहीं होने पर भी एप करता है काम
लश्कर-ए-तैयबा के कुछ आतंकवादियों से पूछताछ के दौरान एजेंसियों को यह जानकारी हाथ लगी कि इस आतंकी संगठन ने खुद को आधुनिक बना लिया है और ‘कैलकुलेटर’ नामक एक ऐप्लीकेशन तैयार किया है जिसे डाउनलोड किया जा सकता है और यह मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की स्थिति में काम करता है.

यह प्रौद्योगिकी ‘कॉगनिटिव डिजिटल रेडियो’ की परिकल्पना पर आधारित है जिससे इसका उपयोग करने वाले अपने स्मार्टफोन को बिना नेटवर्क वाले संचार उपकरणों के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.

यह नेटवर्क अपना खुद का सिग्नल तैयार कर लेता है और निश्चित दायरे में मौजूद दूसरी यूनिट के साथ भी स्वत: संपर्क स्थापित कर लेता है तथा फिर दोनों के बीच संदेशों का आदान प्रदान, जीपीएस स्थलों को साझा करना संभव हो जाता है.

Advertisement
Advertisement