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बिहारियों का अपमान ठाकरे परिवार की आदतः लालू

राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कहा कि बिहारियों का अपमान करना ठाकरे परिवार की आदत बन गयी है, और उन लोगों को ऐसी हरकतों से बाज आना चाहिये.

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लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कहा कि बिहारियों का अपमान करना ठाकरे परिवार की आदत बन गयी है, और उन लोगों को ऐसी हरकतों से बाज आना चाहिये.

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राजद नेता रामचंद्र पूर्वे के दोबारा राजद का प्रदेश अध्यक्ष निर्वाचित होने के अवसर पर लालू ने कहा कि बिहारियों का अपमान करना ठाकरे परिवार की आदत बन गयी है और वे ऐसी हरकतों से बाज आएं.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के दिल्ली बलात्कार संबंध में दिये गये बयान पर लालू ने कहा कि चाहे वह महाराष्ट्र, पंजाब या बिहार सहित चाहे कोई प्रदेश हो, कहीं भी कोई गलत काम करता है तो उस राज्य की जनता दोषी नहीं होती है.

उन्होंने ठाकरे परिवार, चाहे वह राज ठाकरे या उद्धव ठाकरे हों, को देश को खंडित करने वाले लोग बताते हुए कहा कि वे अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए ऐसी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं.

लालू ने उन्हें अपनी भाषा पर काबू रखने और ऐसा बयान देने से पहरेज करने की सलाह देते हुए कहा कि ऐसी बातें करना राष्ट्रहित में नहीं है.

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उन्होंने कहा कि भारत निर्माण और देश की एकता एवं अखंडता को अक्षुण्ण रखने में बिहार की जनता का अभूतपूर्व योगदान रहा है.

उड़ीसा के भुवनेश्वर से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर चुके बिहार के एक युवक की शनिवार को हुई हत्या का उदाहरण देते हुए राजद सुप्रीमो ने कहा कि बिहार के लोगों के साथ अन्य प्रदेशों में भी आपराधिक घटनाएं घटतीं हैं, लेकिन यहां के लोग संबंधित प्रदेशों के बारे में कभी इस तरह की टिप्पणी नहीं करते.

उन्होंने कहा कि जो भी कहीं कोई अपराध करता है तो कानून उसको सख्त सजा देगा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत द्वारा कथित रूप से शादी संस्कार को एक सौदा और पति-पत्नी के रिश्ते को एक समझौता कहे जाने के बारे में लालू ने कहा, ‘वे अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं और जनता को यह समझना चाहिए कि भारत की संस्कृति का पाठ पढ़ाने का ढोंग करने वाले आरएसएस के लोग किस तरह का पाठ पढ़ा रहे है.’

लालू ने कहा कि भागवत ने इससे पूर्व देश में बलात्कार की घटनाओं को लेकर अनुचित टिप्पणी करते हुए इसके लिए विदेशी संस्कृति को अपनाए जाने को जिम्मवार ठहराया था.

उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता गवाह है कि महिलाओं द्वारा अपराध की घटनाओं को अंजाम दिए जाने के उदाहरण शायद ही मिलेंगे, अपराध की घटनाएं पुरूषों द्वारा अंजाम दिए जाते हैं.

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