बात अजीब-सी लगती है कि दान देने वाला तैयार है और लेने वाला राजी नहीं है. थाईलैंड के शाही परिवार की तरफ से बौध गया स्थित बुद्ध मंदिर को 100 किलोग्राम सोना भेंट करने की पेशकश की गई है और बिहार के सीएम नीतीश कुमार डर के मारे इसे स्वीकार करने से परहेज कर रहे हैं. आज की सोने की कीमत के आधार पर यदि आंका जाए तो इतने सोने का बाजार भाव तकरीबन 35 करोड़ रुपए बनता है. शाही परिवार चाहता है कि मंदिर के गुंबद पर इस सोने की परत चढ़ा दी जाए.
पर्यटन मंत्रालय की बात पर यदि यकीन किया जाए तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डरे हुए हैं. उन्हें इस बात का डर है कि यदि इतना सोना गुंबद पर लगा दिया गया तो इस शांत शहर में कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाएगी. ऐसे में मंदिर की सुरक्षा को लेकर मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि बिहार सरकार थाई की रॉयल ट्रस्ट की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर कुंडली मार कर बैठी है. रानी सिरीकीट का यह ट्रस्ट रानी के कार्यालय द्वारा ही संचालित किया जाता है. बताया गया है कि यह प्रस्ताव तकरीबन 5 माह पहले भेजा गया है.
एक बड़े अधिकारी ने बताया कि 'राज्य सरकार ने मंदिर पर सोने की परत लगने के बाद पुख्ता सुरक्षा मुहैया न करा पाने की बात कही है.' उधर, शाही ट्रस्ट और पर्यटन अधिकारियों से अब यह अनदेखी सहन नहीं हो पा रही. राज्य सरकार के रवैये से निराशा हाथ लगने के बाद यह मामला अब सीधा केंद्रीय पर्यटन मंत्री के चिरंजीवी के समक्ष लाया गया है. थाई टूरिज्म के अधिकारियों के साथ एक भारतीय प्रतिनिधि-मंडल बुधवार को बैंकॉक एयरपोर्ट पर चिरंजीवी से मिला. चिरंजीवी लाओस में ASEAN टूरिज्म मिनिस्टर्स कॉन्क्लेव में भाग लेने के बाद वापस दिल्ली लौट रहे थे. बैंकॉक एयरपोर्ट पर इस मसले को लेकर कुछ बातचीत भी हुई.
केंद्रीय पर्यटन मंत्री के चिरंजीवी से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैंने बैंकॉक में भारतीय दूतावास से इस बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है. इसके अलावा राज्य सरकार से भी अनुरोध किया गया है कि इस प्रस्ताव पर जल्द ही स्वीकृति दी जाए. चिरंजीवी ने कहा, इस बारे में मैं खुद भी नीतीश जी से बात करने जा रहा हूं. चिरंजीवी का मानना है कि शाही परिवार की तरफ से मिलने वाला यह गिफ्ट राज्य सरकार, मंदिर और राज्य पर्यटन के लिए अच्छा होगा. यह न सिर्फ बिहार बल्कि भारत के लिए भी लाभकारी होगा. बोध गया ज्यादा प्रसिद्ध हो जाएगा और इसके जरिए बाकी बुद्ध मंदिर भी पहचान में आ सकते हैं.
दुनियाभर में होगी पब्लिसिटी
चिरंजीवी ने कहा कि हम इससे मिलने वाली लोकप्रियता को नजरअंदाज नहीं कर सकते. बौद्ध मंदिरों के साथ साथ बिहार और पूरे भारत को इसका लाभ होगा. बिहार के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी यह कदम सही रहेगा. ASEAN देशों से यहां लोग आएंगे तो देश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
ऐसा नहीं है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस लाभ से अनभिज्ञ हैं. बावजूद इसके सरकार ने सुरक्षा से संबंधित चिंताओं के चलते इस प्रस्ताव पर लगभग अनिच्छा जाहिर की है. मेल टुडे ने इसी मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वे उपलब्ध नहीं थे. संवाददाता ने उनके लिए एक संदेश भी छोड़ा कि जब भी उन्हें यह संदेश मिले, इस पर प्रतिक्रिया दें. परंतु शुक्रवार देर शाम तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
हालांकि केंद्रिय अधिकारियों ने इस मामले में गेंद नीतीश सरकार के पाले में डाल दी है. एक बड़े अधिकार ने कहा कि यदि बिहार के सबसे प्रसिद्ध मंदिर की सुरक्षा का जिम्मा राज्य सरकार नहीं उठा सकती तो पूरे राज्य में सुरक्षा व्यवस्था का क्या हाल होता होगा? उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के लिए कदम उठाने होंगे.
...और चल पड़ा ब्लेम गेम
इस मामले में ब्लेम गेम भी चल रहा है. एक अधिकार ने बताया कि राज्य की ओर से रानी की ट्रस्ट को कोई रिस्पांस नहीं दिया गया है. सरकार की ओर से उन अथॉरिटीज पर दोष मढ़ा जा रहा है, जो मंदिर से जुड़ी हुई हैं. इसमें मंदिर के संचालन में भागीदार बौद्ध भिक्षुओं समेत राज्य प्रशासन के लोगों को लपेटा जा रहा है. स्थानीय बाबुओं पर जब बात आती है तो वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को जिम्मेदार ठहराते हैं और कहते हैं कि एक एएसआई बाधा डाल रहा है.
बैंकॉक और लाओस में कॉन्क्लेव में भाग लेने पहुंचे चिरंजीवी को बौद्ध लोगों की तरफ से कुछ और शिकायतें भी सुनने को मिली हैं. सबसे बड़ी शिकायत आम सुविधाओं का मौजूद न होने से है, जैसे कि टॉयलेट्स इत्यादी. यह समस्या पूरे भारत में है, लेकिन से शिकायत कुछ ज्यादा ही है.
वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्री के पास उस वक्त कोई जवाब नहीं था, जब उनके सामने इस तरह की समस्याओं को रखा गया. आखिर चिरंजीवी कहते भी तो क्या?