वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के 44 साल बाद पाकिस्तान ने स्वीकार किया है कि उनके देश की ‘घुसपैठ’ के कारण ही भारत को युद्ध के लिए मजबूर होना पड़ा था. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सेवानिवृत मेजर जनरल महमूद अली दुर्रानी ने एक टीवी समाचार चैनल से कहा ‘‘हमने सीमा पर से घुसपैठ की शुरुआत की और मुझे लगता है कि हमें उस समय भारत की ओर से आने वाली प्रतिक्रिया के बारे में सोचना चाहिए था.’’
दुर्रानी ने युद्ध में भाग लिया था, जिसके बाद पूर्व राष्ट्रपति जिया उल-हक के कार्यकाल में वह सैन्य सचिव थे. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने 1965 में युद्ध शुरू किया क्योंकि ‘‘छोटे स्तर की झड़पें पाकिस्तान की ओर से शुरू हुई थीं.’’ उन्होंने कहा कि उच्चस्तरीय सैन्य शासन ‘भारत को परेशान करने की रणनीति’ में शामिल नहीं था, लेकिन राजनेता जानते थे कि सीमा पर क्या हो रहा है. तत्कालीन विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को भी अंदाजा नहीं था कि भारत अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करेगा.
इसी दौरान उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अतीत में भारत के साथ युद्ध करके ‘कुछ नहीं मिला.’ उन्होंने कहा ‘‘हमें भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहिए और लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए शांति वार्ता शुरू करनी चाहिए.’’ इसके पहले दुर्रानी ने पत्रकारों के सामने स्वीकार किया था कि मुंबई हमलों में गिरफ्तार अजमल कसाब पाकिस्तानी नागरिक है, जिसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने बर्खास्त कर दिया था.