पूर्व कांग्रेसी नेता नटवर सिंह ने शुक्रवार को कहा कि उनकी नई पुस्तक पर सोनिया गांधी की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया यह साबित करती है कि उसने एक ‘कमजोर नस’ को छू दिया और किसी चीज ने उन्हें इतना ‘परेशान’ किया कि उन्होंने प्रतिक्रिया दे दी.
सिंह ने टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में यह भी दावा किया कि ‘50 कांग्रेसियों’ ने उन्हें फोन करके अपनी नई पुस्तक में ‘सच्चाई कहने’ के लिए बधाई दी.
सोनिया ने गुरुवार को कहा था, ‘मैं अपनी किताब लिखूंगी और उसके बाद आपको सब कुछ पता चलेगा. सच्चाई तभी सामने आएगी जब मैं यह लिखूंगी. मैं इस बारे में गंभीर हूं और मैं लिखूंगी.’
सोनिया ने यह प्रतिक्रिया नटवर सिंह की आत्मकथा को लेकर मचे बवाल के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में की जिसमें दावा किया गया है कि यह राहुल गांधी का सोनिया के जीवन को लेकर भय था जिसने सोनिया को प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया. नटवर सिंह ने यह दावा करके सोनिया के उस दावे का खंडन किया जिसमें वह कहती रही हैं कि उन्होंने कि अपनी ‘अंतरात्मा की आवाज’ सुनी और पद नहीं संभालने का फैसला किया.
सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा कि इसने उन्हें आघात नहीं पहुंचाया है और उन्होंने इससे कहीं बदतर चीजें देखी हैं जैसे पति राजीव गांधी की हत्या और सास इंदिरा गांधी को गोली से गोलियों से छलनी किया जाना. नटवर ने कहा कि यह तथ्य ‘महत्वपूर्ण’ है कि सोनिया ने उनकी पुस्तक के तथ्यों पर प्रतिक्रिया दी क्योंकि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की पुस्तक पर प्रतिक्रिया नहीं दी थी.
यह पूछा गया कि ऐसा क्यों, क्या इसलिए कि उसने एक कमजोर नस छू दी, सिंह ने कहा, ‘निश्चित तौर पर, यह कुछ ऐसा है जिसने उन्हें इतना परेशान किया कि उन्होंने प्रतिक्रिया दी, इसके बारे में आपको पता है. यदि मैं उन्हें सलाह दे रहा होता तो मैं कहता कि प्रतिक्रिया नहीं दीजिये.’ सोनिया के प्रधानमंत्री बनने से इनकार और अन्य मुद्दों पर नटवर सिंह के दावों को मनमोहन सिंह द्वारा ‘प्रचार का हथकंडा’ बताये जाने के बारे में पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने कहा, ‘तथ्य वह है जो संजय बारू ने कहा और जो मैंने कहा और जो अन्य ने कहा है.’ नटवर सिंह अपने दावे पर कायम रहे कि पूर्व प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी ने आधिकारिक फाइलें सोनिया के पास लेकर गए. उन्होंने सवाल किया, ‘क्या वह सोनिया से इसलिए मिलने गए थे ताकि उनके साथ चाय पी सकें.’
नटवर सिंह ने राहुल गांधी के बारे में लिखा है कि वह ‘मजबूत इच्छा-शक्ति वाले व्यक्ति’ हैं और पीछे से बढ़ाए हुए नहीं हैं, लेकिन उनमें पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ बनने का ‘जोश-खरोश’ नहीं है. सिंह ने लिखा, ‘हो सकता है कि वह कोई शानदार राजनीतिज्ञ नहीं हों, लेकिन एक इंसान के रूप में वह बहुत मजबूत हैं. और मैं नहीं समझता हूं कि वह अपनी जिंदगी को ले कर डरेंगे.’ सिंह ने अपनी किताब में सोनिया का जिक्र ‘जहरीली’, ‘अत्याधिक शंकालु’ और ‘किसी प्रधान गायिका’ के रूप में किया ‘जिसके साथ भारत में कदम रखने के दिन से किसी राजसी व्यक्ति के जैसा बर्ताव किया गया.’
पूर्व विदेशमंत्री कभी गांधी-नेहरू परिवार के बहुत नजदीक थे. बाद में उनके रिश्तों के बीच तल्खी आ गई और 2005 में तेल के बदले भोजन घोटाले में उन्हें यूपीए-1 सरकार से इस्तीफा देना पड़ा.
उन्होंने अपनी किसी गलती से इनकार किया. उनका कहना था कि सोनिया ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया. उनके अनुसार सोनिया के सलाहकारों ने उन्हें बताया था कि पूर्व विदेशमंत्री से कांग्रेस अध्यक्ष की निकटता आलोचकों को यह आरोप लगाने का मौका देगा कि सिंह सोनिया के इशारे पर गबन कर रहे हैं.
सिंह ने उम्मीद जताई कि सोनिया देर-सवेर अपना किताब लिखेंगी. उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि उन्हें अपने विचार पेश करने का अधिकार है और मैं उनकी किताब पढ़ने की बाट जोह रहा हूं.’ उन्होंने सोनिया के इतालवी मूल पर प्रहार करते कहा, ‘कोई भारतीय मुझसे इस तरह बर्ताव नहीं करता.’ सिंह ने कहा, ‘हमारी परंपरा है कि जो आपसे उम्र में ज्यादा हों. आप उन्हें सम्मान देते हैं. हिंदुस्तान में नहीं जन्मा कोई इसे नहीं जानेगा.’
बहरहाल, उन्होंने माना कि बिना गांधी परिवार के कांग्रेस पांच टुकड़ों में बंट जाती. उन्होंने कहा, ‘पिछले 15 साल से सोनिया गांधी ने कांग्रेस को एक रखा है.’