तलाक के मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने मामले पर फैसले सुनाते हुए कहा कि अगर पति-पत्नी आपसी रजामंदी से तलाक लेना चाहते हैं, तो कोर्ट को कोई हक नहीं है कि वो उनके अलग होने की वजह पूछे. कोर्ट ने कहा कि ऐसे केस में आपसी रजामंदी से पति-पत्नी अलग हो सकते हैं.
कोर्ट ने दिया ये तर्क
तलाक के मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस केके शशिधरन और जस्टिस एन गोकुलदास ने कहा, अगर शादी नाकाम रही और पति-पत्नी इस बंधन को तोड़ना चाहते हैं, तो कोर्ट को उनकी भावनाओं की कद्र करनी चाहिए और तलाक दे देना चाहिए. शादी टूटने के कारणों को लेकर कोर्ट उनके तलाक को रोक कर नहीं रख सकता.
2014 से अलग-अलग रह रहे थे पति-पत्नी
इस मामले में तलाक की अर्जी देने वाले शख्स की शादी मई 2013 में हुई थी. जुलाई 2014 से दोनों अलग-अलग रह रहे थे. 2015 में दोनों ने शादी खत्म करने के लिए ज्वाइंट पिटीशन फाइल किया. सेशन कोर्ट ने उनकी अर्जी ये कहते हुए ठुकरा दी थी कि बिना कारण जाने तलाक की मंजूरी नहीं दी जा सकती. सेशन कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए जज ने कहा, 'इस मामले में जबकि पति-पत्नी आपसी अलग-अलग रह रहे हैं. दोनों अपनी शादी को आगे मौका नहीं देना चाहते और रिश्ता खत्म करना चाहते हैं, तो कोर्ट को चाहिए कि वह मामले को बिना उलझाए तलाक दे दे.
हिंदू मैरिज एक्ट का किया जिक्र
फैसले सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13-B(2) के तहत अगर शादी के बाद पति-पत्नी एक साल से अलग-अलग रह रहे हैं और तलाक लेना चाहते हैं, तो बिना कारण जाने कोर्ट उन्हें तलाक की मंजूरी दे सकता है.