उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के मामले में जेल की की सजा काट रहे एक 70 वर्षीय बजुर्ग की रिहाई का फैसला सुनाते हुए उसे भगवान में अपना ध्यान लगाने के लिए कहा है.
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उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के मामले में जेल की की सजा काट रहे एक 70 वर्षीय बजुर्ग की रिहाई का फैसला सुनाते हुए उसे भगवान में अपना ध्यान लगाने के लिए कहा है.
गौरतलब है कि यह बुजुर्ग 60 साल की एक महिला के बलात्कार के लिए सात साल की जेल की सजा काट रहा था. अदालत ने सजा पूरी होने के एक साल पहले ही उसे रिहा करने का फैसला सुनाया.
भरी अदालत में हंसी के ठहाकों के बीच न्यायमूर्ति मार्केण्डेय काटजू और न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा की पीठ ने कहा, ‘‘भविष्य में ऐसी गलती दुबारा मत करना . तुम्हारी उम्र अब पूजा पाठ करने की है . इससे शेष जीवन शांति से कटेगा .’’ पीठ ने उसकी सजा को बरकरार रखते हुए कैद की अवधि सात साल से कम करके छह साल कर दी जो वह पहले ही जेल में काट चुका है.
आरोपी कैकोंदन ने 60 वर्षीय महिला को इतनी बेरहमी से अपनी हवश का शिकार बनाया कि उसका दाहिना हाथ टूट गया था.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक तमिलनाडु के तिरुन्वेल्वी जिले में कैकोंदन ने दो फरवरी 1999 को पीड़िता को उसकी झोंपड़ी से बाहर खींचकर निकाला और उसके साथ दुष्कर्म किया. हालांकि कैकोंदन ने इन आरोपों से इनकार किया था लेकिन परिस्थितिजन्य सबूतों के अलावा चिकित्सकीय साक्ष्यों और पीड़िता की गवाही के आधार पर सत्र न्यायालय ने उसे सात साल की सजा सुनाई थी .
मद्रास उच्च न्यायालय में अपील खारिज होने पर कैकोंदन ने शीर्ष अदालत की शरण ली थी.