scorecardresearch
 

सुकना कांड पर समिति की रक्षा मंत्रालय को फटकार

चर्चित सुकना भूमि घोटाले को लेकर संसद की एक स्थायी समिति ने गुरुवार को रक्षा मंत्रालय को कड़ी फटकार लगायी और साथ ही रक्षा परिसंपत्तियों के नियमन के लिए मंत्रालय द्वारा ‘एक स्वतंत्र नियामक’ स्थापित किए जाने की पुरजोर सिफारिश की.

Advertisement
X

चर्चित सुकना भूमि घोटाले को लेकर संसद की एक स्थायी समिति ने गुरुवार को रक्षा मंत्रालय को कड़ी फटकार लगायी और साथ ही रक्षा परिसंपत्तियों के नियमन के लिए मंत्रालय द्वारा ‘एक स्वतंत्र नियामक’ स्थापित किए जाने की पुरजोर सिफारिश की.

Advertisement

इस कांड में पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश समेत चार सैन्य जनरलों के नाम संलिप्त थे. रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा ‘समिति का यह दृढ़ विचार है कि सुकना भूमि घोटाले जैसा भूमि कांड सेना तथा कुल मिलाकर रक्षा सेवाओं की छवि को प्रभावित करता है और ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि देश में रक्षा परिसंपत्तियों के नियमन के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था हो. रक्षा मंत्रालय ने हालांकि समिति को सूचित किया था कि मंत्रालय के भीतर ही पर्याप्त मौजूदा व्यवस्था के चलते अलग से नियामक की जरूरत नहीं है.

लेकिन कांग्रेस सदस्य सतपाल महाराज की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की कि ‘स्वतंत्र नियामक स्थापित करने संबंधी उसके सुझाव पर मंत्रालय (रक्षा) को सकारात्मक तरीके से विचार करना चाहिए.’ समिति हाल ही में सुकना भूमि कांड समेत मीडिया में रक्षा भूमि के इस्तेमाल को लेकर उठे विवादों का जिक्र कर रही थी.

Advertisement

सुकना मामले में दार्जिलिंग में सैन्य अड्डे पर एक शैक्षिक संस्थान स्थापित करने के लिए सैन्य अधिकारियों ने एक निजी पक्ष को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किया था. सुकना कांड में शामिल अन्य अधिकारियों में लेफ्टिनेंट जनरल पी के रथ भी शामिल थे जिनका नाम घोटाले में सामने आने के बाद डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी पद पर नियुक्ति से वापस ले लिया गया.

इनके अलावा 11वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रमेश हलगाली तथा मेजर जनरल पी सी सेन के नाम भी इस घोटाले में सामने आए थे. सेना ने प्रकाश तथा रथ के खिलाफ कोर्ट मार्शल के रूप में अनुशासनात्मक कार्यवाही का आदेश दिया था जबकि अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई के आदेश दिए गए थे.

प्रकाश ने सशस्त्र बल पंचाट तथा बाद में उच्चतम न्यायालय में इस आधार पर अपने कोर्ट मार्शल को रद्द किए जाने की दलील दी थी कि इस कांड की जांच में प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया. लेकिन दोनों ही जगह उनकी अपील स्वीकार नहीं की गयी.

Advertisement
Advertisement