सूतक के दौरान जहां देश भर के मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे वहीं काशी में बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों को दर्शन देते रहेंगे. सिर्फ ग्रहण के दौरान बाबा विश्वनाथ मंदिर का कपाट बंद होगा. कहा जाता है कि यहां भगवान अपने भक्तों को दुखी नहीं देखना चाहते इसलिए ग्रहण के समय को छोड़कर बाकी समय मंदिर भक्तों के लिए खुला रखा जाता है. सूर्य ग्रहण के बाद मंदिर की विधि विधान से धुलाई व सफाई की जाएगी और फिर पूजा-पाठ के बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा.
सूर्य ग्रहण के चलते देश के ज्यादातर मंदिरों और धामों के कपाट बंद हैं. सूतक लगने के साथ ही मंदिरों के कपाट बंद हो चुके हैं जो ग्रहण खत्म होने के बाद खुलेंगे. हरिद्वार में भी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं. यानी मौनी अमावस्या का स्नान करने जो श्रद्धालु आयेंगें वो दोपहर करीब साढे तीन बजे तक मंदिरों में दर्शन नही कर पायेंगें.
ग्रहण शुरू होने से करीब 12 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है. माना जाता है कि सूतक में न तो कोई शुभ काम किया जाता है और ना ही मंदिरों में पूजा पाठ. सूतक लगने के साथ ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिये जाते हैं, ताकि ग्रहण देवी देवताओं की मूर्तियों को ग्रहण के वक्त ग्रह योगों से होने वाले बुरे असर से बचाया जा सके.