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ये है दिल्ली में ज्यादा वोटिंग का मतलब

दिल्ली में सुबह से लंबी-लंबी लाइनें. वोटिंग करने वालों का शाम तक आंकड़ा 70 फीसदी तक पहुंच गया. पिछली बार दिल्ली में 66 फीसदी मतदान हुआ था. अब सियासी हलकों में मायने निकाले जा रहे हैं कि इस ज्यादा वोटिंग का मतलब क्या है. आइए इसे समझते हैं-

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दिल्ली में सुबह से लंबी-लंबी लाइनें. वोटिंग करने वालों का शाम तक आंकड़ा 70 फीसदी तक पहुंच गया. पिछली बार दिल्ली में 66 फीसदी मतदान हुआ था. अब सियासी हलकों में मायने निकाले जा रहे हैं कि इस ज्यादा वोटिंग का मतलब क्या है. आइए इसे समझते हैं-

सत्ता विरोधी- दिल्ली के चुनावी इतिहास में ज्यादा वोटिंग और नतीजों का कोई सीधा नाता नहीं रहा. लेकिन पिछले दो चुनाव में यह सत्ता विरोधी रहा. चूंकि काफी लंबे समय से दिल्ली में कोई सरकार नहीं है, इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि संभवत: केंद्र सरकार के प्रति उदासीनता का फायदा आम आदमी पार्टी को मिलेगा.

क्लीन स्वीप- आम आदमी पार्टी अपने सर्वे का हवाला देते हुए 50 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही थी. कई ओपिनियन पोल में भी उसे बढ़त में दिखाया गया है. लेकिन इस बार चुनाव में ज्यादा वोटिंग जरूर हुआ है, लेकिन कुछ इलाके बीजेपी के समर्थन वाले हैं और कुछ आप के. ऐसे में मामला क्लीन स्वीप वाला न होकर कांटे वाला है.

वर्ग विभाजन- ये देखने में आया है कि मुस्लिम बहुल इलाकों जैसे सीलमपुर, मंगोलपुरी और त्रिलोकपुरी में सबसे ज्यादा वोटिंग हुआ और यह माना गया है यह सब आप के पक्ष में था. इसके अलावा बड़ी संख्या में गरीब तबके के लोग भी बड़ी संख्या में वोट करने निकले है. उन्हें भी आप का समर्थक बताया गया है. क्योंकि आप ने उन्हें लेकर कई वादे किए थे. जबकि मध्यम वर्ग का वोटिंग उतना अच्छा नहीं रहा, जिसे बीजेपी का करीबी माना जाता है.

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