जब से नरेंद्र मोदी के हाथों में बीजेपी के चुनाव अभियान की कमान आई है, उन्हें देश में और गौर से सुना जाने लगा है. वे बीजेपी की ओर से पीएम पद के संभावित दावेदारों में तो शुमार हैं ही. ऐसे में मोदी के बयानों के 'खास मतलब' पर गौर फरमाए जाने की जरूरत है. पढि़ए बयान और उनके मतलब...
बयान: सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन किया, जिसमें बड़े अधिकारी शामिल थे. बाद में इसकी रिपोर्ट आई. इस रिपोर्ट में मुझे पूरी तरह से क्लीनचिट दी गई.
मतलब: मुझ पर फैसला किया जा चुका है, जिसमें मैं निर्दोष पाया गया. अब 2002 के दंगों की बात से आगे निकले की जरूरत है.
बयान: वोटरों के लिए सबसे पहली बात, चाहे वे हिंदू हो या मुस्लिम...मैं विभाजन के पक्ष में नहीं हूं. सभी निवासी, सभी वोटर हमारे देश के ही नागरिक हैं.
मतलब: हिंदू राष्ट्रवादी होने की वजह से मुझे सांप्रदायिक नहीं समझा जाए. मैं मुसलमानों सहित सभी भारतीयों का नेता हूं.
बयान: अगर आप खुद को नेता कहेंगे, तो आपको ठोस निर्णय करना पड़ेगा.
मतलब: नेतृत्व करने का मतलब है कठिन निर्णय करना.
बयान: जहां लोकतंत्र है, वहां ध्रुवीकरण तो होगा ही. अगर सभी लोग एक ही दिशा में आगे बढ़ने लगेंगे, तो क्या आप उसे लोकतंत्र कहेंगे?
मतलब: ध्रुवीकरण और विकल्प चुनने की आजादी के बीच भ्रम में न पड़ें. विकल्प चुनने की आजादी तो हमारी नीति का अहम तत्व है.