scorecardresearch
 

सोनिया के सड़क पर उतरने के मायने

उस दिन सोनिया गांधी हरी साड़ी पहने लोक सभा पहुंची थीं. अचानक वो गुस्से में लाल हो उठीं. हर कोई सकते में था. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का ये रूप पहली बार देखा गया था.

Advertisement
X
सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह
सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह

Advertisement

उस दिन सोनिया गांधी हरी साड़ी पहने लोक सभा पहुंची थीं. अचानक वो गुस्से में लाल हो उठीं. हर कोई सकते में था. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का ये रूप पहली बार देखा गया था.

संसद में पहली बार
बात अगस्त 2012 की है. संसद का मॉनसून सत्र चल रहा था. लोक सभा में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का एक बयान सोनिया को बेहद नागवार गुजरा. अमूमन शांत और मुस्कराते देखी जाने वाली सोनिया ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया. पीछे मुड़ीं और फिर क्या था, सोनिया की ललकार पर कांग्रेस सांसदों ने शोर मचाते हुए एक साथ हमला बोल दिया. आखिरकार माफी मांग कर आडवाणी ने मामला खत्म किया.

सड़क पर भी पहली बार
तीन साल बाद सोनिया गांधी एक बार फिर उसी जूझारू मुद्रा में सक्रिय नजर आ रही हैं. पहले दांडी मार्च के दिन यानी 12 मार्च को उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बंगले तक सांसदों के साथ मार्च किया. उसके बाद उसी तरीके से पूरे विपक्ष को एकजुट कर संसद भवन से राष्ट्रपति भवन तक मार्च किया. सोनिया को केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ एक मौके की तलाश थी. जैसे ही भूमि अधिग्रहण बिल के रूप में सोनिया को ये मौका हाथ लगा सोनिया गांधी सक्रिय हो गईं. वैसे विपक्षी नेताओं में जो एकता राष्ट्रपति भवन के रास्ते में दिखी वैसी काफी अरसे से नहीं नजर आई थी.

Advertisement

राहुल गांधी छुट्टी पर हैं. पहले खबर आई कि अप्रैल में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष पद की कुर्सी सौंपी जा सकती है. फिर मालूम हुआ कि मामला टल गया है. शायद इसीलिए सोनिया एक बार फिर खासी सक्रिय हो गई हैं.

लोक सभा चुनाव में भारी शिकस्त के साथ ही जरूरत भर सीटें न मिलने से लोक सभा में विपक्ष का नेता पद भी जाता रहा. अब किसान हितों के मुद्दे पर विपक्ष को एकजुट कर सोनिया ने सरकार को जोरदार टक्कर दी है. जिस तरह देश के लिए मजबूत सरकार जरूरी है उसी तरह लोक तंत्र के लिए एक मजबूत विपक्ष भी जरूरी है. सोनिया उसी रास्ते पर चल रही हैं.

Advertisement
Advertisement