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इंसान की मौजूदगी का सूंघ कर पता लगाता है मच्‍छर

मच्छरों से बचाव के लिये अब और भी अधिक प्रभावी प्रतिरोधी तकनीक को अपनाये जाने की जरूरत है.

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मच्छरों से बचाव के लिये अब और भी अधिक प्रभावी प्रतिरोधी तकनीक को अपनाये जाने की जरूरत है. वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है कि मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के पास कई तरह के गंधों को सूंघने की क्षमता होती है, जिसके सहारे वे इंसानों की उपस्थिति सूंघ कर पता लगा लेते हैं.

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अभी तक यह माना जाता रहा था कि मलेरिया फैलाने वाले मच्छर एनोफिलिस गैम्बी (मादा एनोफिलिस की एक प्रजाति) इंसानों तक पहुंचने के लिये एक ही प्रकार के सूंघने की शक्ति का इस्तेमाल करते हैं. इस मच्छर के काटने से होने वाले मलेरिया रोग के कारण हर साल नौ लाख लोग मौत की निंद सो जाते हैं. जबकि सालाना दो करोड़ पचास लाख लोग इससे संक्रमित होते है.

पब्लिक लायब्रेरी ऑफ साइंस बायोलॉजी के ताजा अंक में वैंडरबिट विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं के दल द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में यह बताया गया है कि मच्छरों के पास सूंघने की क्षमता से युक्त दूसरा संवेदी तंत्र भी होता है. वैज्ञानिकों के अनुसार उनके पास प्रारंभिक स्तर पर इस बात के सबूत है कि मच्छरों के पास मौजूद इस सूंघने की शक्ति वाले संवेदी तंत्र को अगल श्रेणी में रखा जा सकता है, क्योंकि यह अभी तक ज्ञात सूंघने की क्षमता वाले संवेदी तंत्र से पूरी तरह से अलग है.

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इस शोध में कहा गया है कि यह चौंकाने वाली बात तो कतई नहीं है कि मच्छरों की सूंघने की क्षमता हमारे सोचने से कहीं ज्यादा विकसित है. सूंघने की शक्ति का होना मच्छरों के लिये बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर मादा मच्छर खून को सूंघ कर चूस नहीं पायी, तो वह प्रजनन नहीं कर पायेगी.

यह बात सभी मच्छरों पर लागू होती है ना कि महज एनोफिलिस की प्रजाति पर.

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