आईएनएक्स मीडिया मामले में एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम की सीबीआई हिरासत 12 मार्च तक बढ़ा दी. कार्ति 28 फरवरी से सीबीआई की कस्टडी में हैं.
कार्ति ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपने वकील के जरिए पूरे मामले को त्रासदीपूर्ण बताते हुए इसे उत्पीड़ित किए जाने का जरिया बताया था. मगर शुक्रवार को पेशी के लिए उन्हें पटिलाया हाउस कोर्ट लाए जाने के दौरान समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा ली गईं तस्वीरें कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं. कोर्ट में पेशी के दौरान कार्ति के चेहरे पर उदासी या कोई शिकन नजर नहीं आई.
वह तस्वीरों में मुट्ठी ताने दिख रहे हैं. उनका दायां हाथ ऊपर की तरफ उठा हुआ दिख रहा है. वह मुट्ठी बांधे अपने हाथ को हवा में लहरा रहे हैं. अगर इन तस्वीरों को एक रिकॉर्ड के तौर पर देखा जाए तो यह उल्लेखनीय होगा.
गुरुवार को भी जब उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया तो उनके दाएं हाथ की मुट्ठी बंधी हुई थी जिसे वह हवा में लहरा रहे थे. उधर मुंबई में आईएनएक्स मीडिया की पूर्व निदेशक पीटर और इंद्राणी मुखर्जी से मुलाकात के बाद बाहर निकलते हुए कार्ति की तस्वीर को भी देखा जा सकता है.
हालांकि सोशल मीडिया पर कार्ति की विजय वाली मुद्रा या कम से कम उनके आत्मविश्वास को लेकर अलग अलग राय देखी गई. सोशल मीडिया पर कई लोग कार्ति के पोज पर तंज कसते हुए नजर आए.
कार्ति के पोज पर एक सोशल मीडिया यूजर का कहना था, गंभीर अपराधों के आरोपी भी ऐसे पोज दे रहे हैं, जैसे वे राजनीतिक शहीद हों. वह तस्वीरों में ऐसे दिख रहे हैं जैसे उन्होंने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता हो. एक प्रमुख अखबार की वेबसाइट ने तो ट्विटर पर आई इन टिप्पणियों को व्यंग बताते हुए लगाया था. इसमें कार्ति की तस्वीर पर टिप्पणी करते हुए एक जगह 'रिश्वत की मूर्ति' जैसे शब्द का भी इस्तेमाल किया गया था.
बता दें कि कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने एयरसेल-मैक्सिस और आईएनएक्स मीडिया के लिए गलत तरीके से विदेशी निवेश प्रमोशन बोर्ड (FIPB)की मंजूरी हासिल की थी. दोनों मामले 2007 के हैं. उस वक्त पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे. आरोप है कि कार्ति ने इसमें अपने पिता की मदद ली थी. इसी मामले में सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया, इसके निदेसकों पीटर और इंद्राणी मुखर्जी के साथ कार्ति चिदंबरम का नाम भी जोड़ा गया था. इस मामले कार्ति अभी सीबीआई की कस्टडी में हैं.
कार्ति चिदंबरम के जितने भी पोज देखने को मिले उनका क्या संदेश है? क्या यह कोई राजनीतिक संकेत देते हैं? या क्या यह स्वाभाविक सी तस्वीरें हैं? या कठिन दौर से गुजरने के दौरान यह खुद पर भरोसा होने की बात को दर्शाता है? क्या हम इसे जान सकते हैं? अब इसके पीछे चाहे जो भी राज हो उसे तो सिर्फ कार्ति चिदंबरम ही जानते होंगे.
वहीं कार्ति के पोज पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के प्रवक्ता नलिन कोहली ने इंडिया टुडे से कहा, कार्ति चिदंबरम पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिसकी विभिन्न जांच एजेंसियां पड़ताल कर रही हैं. प्राथमिक तौर पर मीडिया ने जो सवाल उठाए हैं वे महत्वपूर्ण हैं. रिश्वत लेने के गंभीर आरोप, वह भी तब जब उनके पिता वित्त मंत्री थे, की पड़ताल होनी चाहिए.
कार्ति के हवा में हाथ लहराने पर कोहली कहते हैं कि यह निश्चित रूप से खुश रहने की स्थिति तो नहीं है. यदि कार्ति चिदंबरम इसे राजनीतिक संदेश या व्यक्तिगत उपलब्धि के तौर पर देखते हैं, तो वह बहुत मासूम हैं कि भाजपा या कोई अन्य व्यक्ति इस पर क्या टिप्पणी कर सकता है.
वहीं कार्ति की बॉडी लॉग्वेज पर कांग्रेस के टॉम वेड्डकन का कहना है कि पी. चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम दोनों आत्मविश्वास से भरे हुए हैं और उन्हें विश्वास है कि उन्होंने कानून के दायरे में रहकर काम किया है. उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है.
इन सभी से इतर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा का कहना है कि कार्ति के हाव-भाव में आत्मविश्वास की झलक दिखती है. उन्हें लगता होगा कि उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा. मगर राजा यह भी कहते हैं कि कानून नाम की भी कोई चीज होती है. अब कानून अपना काम कैसे करता है, इसके लिए हमें इंतजार करना और देखना होगा.