रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा में प्रमुख दरों में एक और दौर की बढ़ोतरी किए जाने की आशंका ने उद्योग जगत के विश्वास को डगमगा दिया है.
उद्योग मंडल फिक्की द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में उद्यमियों ने माना है कि मुद्रास्फीति ने वैश्विक संकट से उबर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था की सेहत पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है.
सर्वेक्षण के मुताबिक, अगर रिजर्व बैंक इस सप्ताह अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में प्रमुख दरें बढ़ता है तो इससे उद्योगों का निष्पादन प्रभावित होगा। रिजर्व बैंक 27 जुलाई को मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा.
इस महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक पहले ही रेपो और रिवर्स रेपो में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुका है. सर्वेक्षण में करीब 90 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अगर आगामी मौद्रिक नीति में प्रमुख दरें बढ़ी तो निश्चित तौर पर उनकी ऋण की लागत बढ़ जाएगी.
उल्लेखनीय है कि इस साल में औद्योगिक उत्पादन 11.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा जो बीते साल की इसी अवधि में 2.1 प्रतिशत था.