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नोटबंदी के 50 दिन बाद ऐसे हैं दिल्ली से सटे इस गांव के हालात

नोटबंदी को लागू हुए पूरे 50 दिन हो गए. ऐसे में आजतक की टीम पहुंची दिल्ली-हरियाणा सीमा के पास बसे गांव कैर गांव में जहां नोटबंदी के बाद से ही देहात के रहने वाले और किसानों के सामने खासी परेशानी खड़ी है. कैर गांव में प्रधान के घर सुबह-सुबह रोजाना लगभग एक ही मुद्दे पर बात हो रही है नोटबंदी.

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कैशलेस
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नोटबंदी को लागू हुए पूरे 50 दिन हो गए. ऐसे में आजतक की टीम पहुंची दिल्ली-हरियाणा सीमा के पास बसे गांव कैर गांव में जहां नोटबंदी के बाद से ही देहात के रहने वाले और किसानों के सामने खासी परेशानी खड़ी है. कैर गांव में प्रधान के घर सुबह-सुबह रोजाना लगभग एक ही मुद्दे पर बात हो रही है नोटबंदी.

गांव के ही रहने वाले महेंद्र सिंह दहिया की माने तो नोटबंदी ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. टमाटर की फसल बोने के बाद नोटबंदी लागू हुई जिसके बाद टमाटर की फसल के दाम नहीं मिले. थोक में किसानों का टमाटर एक या डेढ़ रुपये किलो बिका जिससे काफी नुकसान हुआ. गांव के ही रहने वाले मांगेराम का कहना है कि 80 सालों में पहली बार उन्होंने देखा कि फसल की बोवनी के वक्त किसान पैसे के लिए तरस रहा है.

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नोटबंदी से इंसान तो इंसान गांव के जानवर भी परेशान हैं. ये हम नहीं बल्कि गांव पालम 360 के प्रधान राम करण सिंह कह रहे हैं. रामकरण सिंह के मुताबिक जब खुद के खाने के लाले पड़े हों तो वो पशुओं के खाने का इंतेज़ाम कैसे करें. हालांकि जो चारा पहले से ही जमा है उसी से पशुओं को खाना खिलाया जा रहा है. कैर गांव में एक जमीन ऐसी भी है जो नोटबंदी के बाद से किसान से अगले 6 महीने के लिए अलग हो चुकी है. दरअसल गांव में कई खेत ऐसे हैं जिन्हें किसानों ने जोता तो था लेकिन वक्त पर बीज नहीं खरीद पाने के कारण किसान इन जुते पड़े खेतों में बोवनी नहीं कर पाए. साफ है नोटबंदी पर पीएम मोदी की मांगी गई समय सीमा तो खत्म हो रही है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इन गांववालों की परेशानियां कब खत्म होंगी.

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