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44 डीम्ड विश्वविद्यालयों पर यथास्थिति बनी रहे: सुप्रीम कोर्ट

उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले लगभग दो लाख छात्रों को राहत प्रदान करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि मान्यता समाप्‍त होने के खतरे का सामना करने वाले 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों के दर्जे को लेकर यथास्थिति बनाये रखी जाए.

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उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले लगभग दो लाख छात्रों को राहत प्रदान करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि मान्यता समाप्‍त होने के खतरे का सामना करने वाले 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों के दर्जे को लेकर यथास्थिति बनाये रखी जाए.

इन डीम्ड विश्वविद्यालयों को निर्धारित मापदंड पूरा नहीं करने और इन्हें पारिवारिक जागीर की तरह से संचालित करने के मद्देनजर सरकार ने कुछ समय पहले उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया था जिसमें एक कार्यबल की उस सिफारिश को स्वीकार करने का उल्लेख किया गया था जिसमें इन 44 डीम्ड विश्वविद्यालय की मान्यता समाप्त करने की बात कही गई थी.

शीर्ष न्यायालय ने सभी 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों और इन्हें संबद्धता देने वाले विश्वविद्यालयों को भी नोटिस जारी कर सरकार के मान्यता खत्म करने के फैसले पर जवाब दाखिल करने को कहा है. न्यायालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से भी कहा कि अपनी पूर्ववर्ती रिपोर्ट जमा करें, जिसके आधार पर मंत्रालय ने इन संस्थानों को डीम्ड का दर्जा दिया था. न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक की पीठ ने सरकार के इस आश्वासन के बावजूद आदेश पारित किया कि अदालत की मंजूरी के बिना इन संस्थानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.

सरकार के फैसले का विश्वविद्यालयों ने कड़ा विरोध किया था जब केंद्र सरकार ने न्यायालय को यह बताया था कि उसने इन डीम्ड विश्वविद्यालयों की मान्यता समाप्त करने से संबंधित कार्यबल की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है. विश्वविद्यालयों के विरोध के बीच शीर्ष न्यायालय ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनका पक्ष सुने बिना कोई भी विपरीत आदेश नहीं पारित किया जाएगा क्योंकि यह मुद्दा न केवल कई संस्थानों से बल्कि दो लाख विद्यार्थियों से भी जुड़ा हुआ है.

बहरहाल, छात्रों को आश्वस्त करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था कि किसी भी छात्र के हित प्रभावित नहीं होंगे और सभी छात्रों को विश्वविद्यालय की डिग्री मिलेगी. पीठ ने केंद्र सरकार को यह निर्देश भी दिया कि समीक्षा समिति और कार्य बल की रिपोर्ट को भी रखा जाए, जिनके आधार पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 44 विश्वविद्यालयों का डीम्ड का दर्जा खत्म करने का फैसला किया था.

समिति ने पाया था कि इन विश्वविद्यालयों का संचालन शैक्षणिक संस्थान की बजाए पारिवारिक जागीर के तौर पर किया जा रहा है. समिति ने 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों में कई तरह की कमियां पायीं और सुझाव दिया कि इन्हें अपनी खामियों को तीन वर्षों में दूर कर लेना चाहिए. देश के 13 राज्यों में स्थित इन 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों में लगभग दो लाख छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं जिनपर सरकार के कार्यबल की सिफारिश स्वीकार करने लेने की वजह से खतरे की तलवार लटक रही थी.

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