संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों और अधिकारियों ने फलस्तीन के लिए मानवीय सहायता लेकर गाजा पट्टी जा रहे एक पोत पर इजरायल हमले की निंदा की है. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इस बाबत इजरायल से पूरी सफाई मांगी है.
सुरक्षा परिषद ने भी मसौदा प्रस्ताव पर चर्चा, घटना की अंतरराष्ट्रीय जांच और इसमें मारे गए लोगों को मुआवजा मुहैया कराने पर चर्चा के लिए रविवार को एक आपात बैठक बुलाई.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा ‘मैं इस हिंसा की निंदा करता हूं. यह बहुत अहम है कि इस बात का पता लगाने के लिए पूरी जांच हो कि यह खूनखराबा हुआ कैसे. मेरा मानना है कि इजरायल को इस बाबत पूरी सफाई देनी चाहिए.’ इजरायली नौसैनिक कमांडो के हमले में 10 कार्यकर्ता मारे गए जबकि दर्जनों अन्य घायल हो गए. इस घटना को लेकर पूरी दुनिया में रोष दिखा.
बदले में इजरायल ने पोत में सवार लोगों पर आरोप लगाया कि उसमें सवार लोगों ने ही उसके सैनिकों पर चाकुओं और धातु की छड़ों से हमले किए और अपने बचाव में इजरायली रक्षा कर्मियों ने काम किया.
व्यक्तिगत बयानों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों ने बयान जारी किए. कमोबेश हर बयान में हमले की निंदा की गयी. वीटो अधिकार रखने वाले स्थायी सदस्य फ्रांस, रूस और चीन ने गाजा से अवरोध हटाने और इस खूनी वारदात की स्वतंत्र जांच कराने का आह्वान किया.
ब्रिटिश राजदूत मार्क लायल ग्रांट ने हमले के बाद बुलायी गयी आपात बैठक से पूर्व कहा ‘अब यह और भी अधिक साफ हो गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1860 का अनुपालन करते हुए इजरायल द्वारा गाजा पट्टी पर लगायी गयी रोक को हर हालत में हटाया जाना चाहिए.’ इजरायल के पारंपरिक मित्र और अक्सर यहूदी राष्ट्र की सहायता के लिए अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल करने वाले अमेरिका ने अवरोध हटाए जाने के संबंध में इस्राइल से कोई विशेष अपील नहीं की. लेकिन उसने संकेत दिया कि कार्रवाई में नरमी बरती जाए.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के स्थायी उप-प्रतिनिधि अलेजांद्रो वोल्फ ने कहा ‘हालिया हिंसा से अमेरिका बुरी तरह परेशान है और गाजा जाने वाले पोतों में सवार लोगों के साथ हुई घटना में मारे गए लोगों और घायलों के प्रति अफसोस जाहिर करता है.’ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख नवी पिल्लई ने भी गाजा जा रहे फलस्तीनी पोतों पर हमले की कड़े शब्दों में निंदा की.
सुरक्षा परिषद में बयान पेश करने वाले तुर्की ने भी मांग की कि इस्राइल इस कृत्य के लिए माफी मांगे.
तुर्की के विदेश मंत्री अहमत दावूतोगलू ने कहा ‘मानवता के लिए यह एक काला दिन है. सत्ता और आतंकवादियों के बीच का फर्क मिट सा गया है.’ दुनिया भर की आलोचना झेल रहे इजरायल ने कहा है कि काफिले का मिशन मानवीय नहीं था बल्कि उसका मकसद गाजा के अवरोध को खत्म करना था.
संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के मिशन के उप-प्रमुख डैन कार्मन ने कहा ‘अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किस तरह के शांति कार्यकर्ता पोत पर सवार सैनिकों पर हमले के लिए चाकुओं और दूसरे हथियारों का इस्तेमाल करते हैं.’