ट्रेनों और रेल परिसरों में अपराध पर अंकुश लगाने की कोशिशों के बावजूद बीते तीन सालों में ट्रेनों में यात्रियों के सामान की चोरी के मामलों में लगातार इजाफा हुआ है.
रेल मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2012 में यात्रियों के सामान चोरी के 5,174 मामले थे, जो 2013 में बढ़कर 6,258 पर पहुंच गए और 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 7,606 हो गया. 2014 में चोरी की घटनाओं में 1,754 मामलों के साथ अधिकतर मामले पश्चिम-मध्य रेलवे खंड में हुए. इसके बाद मध्य रेलवे खंड में 1,281 मामले और दक्षिण मध्य रेलवे खंड में 1,008 ऐसे मामले सामने आए.
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'यात्रियों की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है और रेलवे परिसरों में अपराध निश्चित तौर पर हमारे लिए चिंता का विषय है. स्टेशनों और ट्रेनों में चोरी और बाकी अपराध पर रोकथाम के लगातार प्रयास हो रहे हैं.' राहत की बात यह है कि नशीली चीजें खिलाने के मामलों में कमी आई है. 2012 में जहां 496 ऐसे मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2013 में 352 मामले और 2014 में 324 मामलों के साथ इसमें कुछ कमी देखी गई. अधिकारी ने बताया कि ट्रेनों में यात्रियों को नशीला पदार्थ खिलाए जाने को लेकर हम लगातार नजर बनाए हुए हैं और इसके खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहे हैं.