अमेरिकी विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत में चार विधानसभा चुनावों के परिणामों ने अगले साल होने जा रहे आम चुनाव से पहले विपक्षी बीजेपी को आवश्यक रफ्तार जरूर दी है, लेकिन इसमें न तो ‘नरेंद्र मोदी की लहर’ का कोई संकेत दिखा और न ही लोकसभा चुनाव में ऐसे ही प्रदर्शन की गारंटी है.
भारत के चुनावों पर करीब से नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और दिल्ली, जहां ‘आप’ ने बहुत से लोगों को चौंका दिया, वहीं, बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन का एकमात्र कारण केवल मोदी नहीं हैं.
साउथ एशिया, मैक्लार्टी एसोसिएट्स के निदेशक रिचर्ड एम रोसो ने कहा, ‘इन राज्यों में बीजेपी हमेशा मुकाबले में रही है, लगभग ऐसे ही नतीजे 2003 में थे. लहर की बड़ी परीक्षा इस बात को लेकर होगी कि क्या बीजेपी आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल से लोकसभा सीटें जीत सकती है. पिछले दो चुनावों में बीजेपी को इन राज्यों से केवल एक संसदीय सीट मिली थी.’
हाल के महीनों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मोदी ने इन राज्यों का एक दर्जन से अधिक बार दौरा किया है.
उन्होंने कहा, ‘हर किसी की राय है कि कोई ऐसा ठोस सबूत नहीं दिखता जो यह साबित करे कि किसी भी नेता ने किसी एक दिशा में कोई लहर पैदा की है.’
अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टिट्यूट के सदानंद धूमे ने कहा कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद मोदी ने पहली बड़ी परीक्षा पास कर ली है.
कार्नेजी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के मिलन वैष्णव ने कहा कि यद्यपि हाल के विधानसभा चुनावों को 2014 के चुनाव का ‘सेमीफाइनल’ कहा गया है, लेकिन हर किसी को यह ध्यान रखना चाहिए कि ये चुनाव हिन्दी भाषी क्षेत्र के केवल चार राज्यों तक सीमित हैं जहां बीजेपी मजबूत रही है.
जाने माने अमेरिकी थिंक टैंक ने अपनी वेबसाइट पर ‘इंडिया डिसाइड्स 2014’ शुरू किया है, जिसकी भारत के 2014 के चुनावों से पहले भारत के घटनाक्रमों पर करीबी नजर है.