सुप्रीमकोर्ट ने सरकारी गोदामों में अनाज को सड़ाने की बजाय उसे गरीबों को मुफ्त बांटने संबंधी अपनी टिप्पणी पर केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के वक्तव्य को मंगलवार को काटते हुए कहा कि उसने इसका आदेश दिया था न कि सुझाव जैसा कि कृषि मंत्री बताना चाहते हैं. दूसरी ओर राजद अध्यक्ष और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने शरद पवार के मामले पर कहा है कि या तो वो अनाज मुफ्त में बांटे नहीं तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने मंगलवार को सरकारी वकील से कहा कि यह सुझाव नहीं था. हमने यह आदेश किया था. मंत्री को यह बात बता दें. न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूति दीपक वर्मा की पीठ ने ताजा टिप्पणी अखबारों की उन रिपोर्टों के संदर्भ में की, जिनमें पवार ने कहा था कि न्यायालय ने इस मामले में कोई आदेश नहीं दिया है.
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसने आदेश ही दिया था. पवार ने कहा था कि सुप्रीमकोर्ट का (अनाज मुफ्त में बांटने) का सुझाव लागू करना संभव नहीं है. न्यायालय ने आदेश दिया कि सरकार बीपीएल, एपीएल और अंत्योदय अन्न योजना के पात्र परिवारों का 2010 के आंकड़ों के आधार पर सर्वे कराए. न्यायालय ने कहा कि सरकारें दस साल पुराने आंकड़ों के आधार पर इस तरह की छूट नहीं दे सकती.
न्यायालय ने यह भी कहा कि सरकार को अनाज की हिफाजत के लिए अनिवार्य रूप से कदम उठाना चाहिए ताकि यह सड़ने न पाए. पीठ ने यह भी कहा कि सरकार को उतने ही आनाज की खरीद करनी चाहिए जितने की वह हिफाजत कर सके.
सुप्रीमकोर्ट ने अपने उस पिछले आदेश को दोहराया जिसमें कहा गया है कि गरीबी की रेखा से ऊपर के परिवारों को सब्सिडी का खाद्यान्न नहीं दिया जा सकता. पर यदि सरकार उन्हें यह लाभ देने पर तुली ही है तो सालाना तीन लाख रुपये की आय के नीचे के परिवारों को ही यह लाभ दिया जा सकता है.