सीबीआई के पूर्व निदेशक ए.पी. सिंह ने सोमवार को कहा कि आरुषि-हेमराज हत्याकांड मामले में जांच एजेंसी के तत्कालीन संयुक्त निदेशक अरुण कुमार के नेतृत्व में की गई सीबीआई की पहली टीम की जांच में ‘खामियां’ थीं. मामले के जांचकर्ता रहे एजीएल कौल को श्रद्धांजलि देते हुए भेजे गए संदेश में सिंह ने कहा कि अधिकारी को विश्वास था कि आरूषि के अभिभावक ही दोहरी हत्या के लिए जिम्मेदार हैं. कौल का पिछले हफ्ते निधन हो गया था.
ए.पी. सिंह ने अपने बयान में कहा, ‘मामले की जांच पहले उत्तर प्रदेश पुलिस और फिर सीबीआई के जांच दल द्वारा की गई और फिर जांच का जिम्मा कौल को सौंपा गया. पहले की गई जांच में खामियों के बावजूद वह दोषी का पता लगाने में सक्षम रहे.’ सिंह ने कहा कि वरिष्ठों के दबाव के बावजूद कौल दृढ़ निश्चयी बने रहे और जांच पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें आरोपी अभिभावक राजेश और नूपुर तलवार पर दोष साबित हुआ.
पूर्व सीबीआई निदेशक ने कहा ‘जांच और सुनवाई के दौरान कौल पर उनके वरिष्ठ अधिकारियों, मीडिया, आम जनता सहित हर ओर से बहुत ज्यादा दबाव था, क्योंकि यह सीबीआई द्वारा सुलझाए गए बड़े मामलों में से एक मामला था. लेकिन कौल ने बहुत ध्यान से काम किया.’ कौल (54 वर्ष) को शुक्रवार को सोते समय दिल का दौरा पड़ा. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
आरुषि-हेमराज दोहरे हत्याकांड मामले में कौल को तब लाया गया था, जब तत्कालीन सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार ने तत्कालीन संयुक्त निदेशक अरुण कुमार की अगुवाली वाली पहली टीम की जांच खारिज कर दी थी. कौल को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करनी पड़ी थी, जिसमें उन परिस्थितिजन्य प्रमाणों का ब्यौरा था जिनसे किशोरी के दंत चिकित्सक माता-पिता की संलिप्तता का संकेत मिलता था.
कौल की जांच टीम द्वारा पेश परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपुर तलवार को निचली अदालत ने आरूषि और हेमराज की हत्या का दोषी ठहराया तथा उम्र कैद की सजा सुनाई थी.
इनपुट: भाषा