नेपाल में प्रधानमंत्री पद के लिए शुक्रवार को दोबारा होने वाले चुनाव में माओवादी प्रमुख प्रचंड और नेपाली कांग्रेस के नेता राम चंद्र पौडयाल एक बार फिर आमने-सामने होंगे लेकिन इनमें से कोई भी जीतता नजर नहीं आ रहा है क्योंकि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी एकीकृत (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के मुखिया झलनाथ खनल ने कहा है कि उनकी पार्टी इस चुनाव में मतदान नहीं करेगी.
माओवादियों के एक वरिष्ठ नेता नारायणकाजी श्रेष्ठ के हवाले से कहा गया है कि कुछ छोटे राजनीतिक दलों ने शुक्रवार को होने वाले चुनाव में प्रचंड का समर्थन करने पर रजामंदी जताई है. वहीं ‘हिमालयन टाइम्स’ के मुताबिक, झलनाथ खनल ने कहा है, ‘संविधान सभा में 391 सदस्य हैं जो हमारे नेतृत्व में प्रधानमंत्री का समर्थन करने के लिए तैयार हैं. लेकिन यह दो तिहाई बहुमत नहीं है और हमने बहुमत के आधार पर नयी सरकार के लिए चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.’
इससे पहले बुधवार को नेपाल के सांसद देश के नये प्रधानमंत्री को चुनने में विफल हो गए थे. उन्होंने माओवादी प्रमुख प्रचंड और उनके प्रतिद्वंद्वी नेपाली कांग्रेस के रामचंद्र पौडयाल को खारिज कर दिया था जो 601 सदस्यीय संसद में साधारण बहुमत तक हासिल नहीं कर पाए थे. नतीजतन शुक्रवार को नये सिरे से चुनाव होंगे. माओवादी प्रमुख प्रचंड के पक्ष में 242 और विपक्ष में 114 मत मिले.
जादुई आंकड़ा 301 मतों का था जिससे प्रचंड काफी दूर रहे. इसी तरह नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार राम चंद्र पौडयाल को पक्ष में 124 और विपक्ष में 235 मत मिले. पौडयाल भी साधारण बहुमत से दूर रहे. चार मधेसी पार्टियों के पास संसद में कुल 84 सीटें हैं जिन्होंने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
शिकस्त के बाद भी विजयी मुद्रा में पौडयाल ने कहा है कि शुक्रवार को होने वाले दोबारा चुनाव में वह जीत के प्रति आश्वस्त हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं आश्वस्त हूं कि मौजूदा सरकार में गठबंधन के हमारे साझेदार एकजुट रहेंगे और आज जिन्होंने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, वे भी मेरे पक्ष में मतदान करेंगे.’