अगर आप सोचते हैं कि आप की जॉब सुरक्षित है? तो ज्यादा बेफिक्र होने की जरूरत नही है. क्योंकि जापान की छोटे स्तर की कंपनियां अब अपने कामों के लिए इंसान की जगह रोबोट का सहारा लेगी. ताकि कंम्पनी इन्हें निर्माण, पैकर्स एंड मूवर्स और होटल की रूम सर्विस सहित कई कार्य मे लगाया जा सके.
जापान के एक बैंक के सर्वेक्षण के अनुसार, वित्तीय वर्ष अप्रैल में कंपनियों ने निवेश को बढ़ा कर 100 मिलियन येन से 1 अरब येन की योजना है, निवेश 17.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा हैं, जोकि उच्चतम स्तर की बढ़त है.
ऑटोमेशन आने से क्या असर पड़ेगा
जितना कंपनियां मशीन पर निर्भर होगी, उतने ही रोज़गार कम होंगे. आकड़ों की माने तो रोज़गार बढ़ने के बजाय भारत में प्रतिदिन 550 रोज़गार के अवसर समाप्त हो रहे हैं. इसका मतलब है कि 2050 तक देश में 70 लाख रोजगार समाप्त हो जाएंगे. वहीं इस दौरान देश की आबादी 60 करोड़ बढ़ चुकी होगी. इन सबके अलावा ऑटोमेशन की वजह से भी भारी संख्या में नौकरी जाने का ख़तरा है.
नौकरियों की जगह रोबोट लेंगे
एक अमेरिकी रिसर्च फर्म की माने तो आने वाले पांच सालों में इंडियन में ऑटोमेशन के कारण 6.4 लाख लॉ स्किल्ड नौकरियां चली जाएंगी. इन नौकरियों की जगह रोबोट जैसी टेकनोलोजी ले सकती है. जानकारों की माने तो आगामी समय हाईस्किल्ड टेक्नोलॉजी में नौकरियां बढ़ेंगी लेकिन लॉ- स्किल्ड नौकरियां कम हो जाएँगी. नई रोबोट टेक्नोलॉजी से तो ये संकट और भी बढ़ गया है, क्योंकि एक रोबोट 100 लोगों के बराबर काम कर सकता है.
क्यों है जापानी कंपनियां रोबोट के लिए इतनी बेताब
जापान इस वक़्त लेबर की कमी से जूझ रहा है. परिस्थिति लगातार खराब होती जा रही है. कंपनियों को लेबर की कमी की समस्या के समाधान के लिए लगातार प्रयास जारी रखना होगा. जापान में कामकाजी लोगो की आबादी 1995 में 8 करोड़ पर थी और अब ये गिर लगातार रही है. सरकार को ऐसी आशंका है कि यह इस वर्ष लेबर की संख्या गिरकर 7 करोड़ और 2065 में गिरकर 4 करोड़ हो जाएगी.