भारत में स्कूल जाने वाले लगभग 30 फीसदी बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्होंने किसी न किसी तरह से साइबर नुकसान को अनुभव किया है जैसे, साइबर बदमाशी, साइबर स्टॉकिंग, मानहानि और हैकिंग. यह बात दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी यूनीनॉर के एक अध्ययन में सामने आई है.
यह अध्ययन सात राज्यों के 29 स्कूलों में किया गया, जिसमें लगभग 10,500 छात्रों ने भाग लिया. यूनीनॉर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोर्टेन कार्लसन सोर्बे ने कहा, 'यूनिनॉर में हमारा दृढ़ विश्वास है कि हमारे नए उपभोक्ता न सिर्फ इंटरनेट का उपयोग करने के लिहाज से सुसज्जित हों बल्कि सही जानकारी और सहायता प्रणाली के साथ सुरक्षित रूप से डिजिटल दुनिया का उपयोग करने में भी सक्षम हों.'
2013 की शुरुआत में टेलीनॉर समूह और बॉस्टन परामर्श समूह के एक अध्ययन में बताया गया था कि 2017 तक भारत के 13.4 करोड़ बच्चे इंटरनेट पर सक्रिय हो जाएंगे, जबकि 2012 में यह संख्या 3.95 करोड़ थी. यह अध्ययन 12 देशों में कराया गया था, जिसमें बताया गया था कि भारतीय बच्चे सबसे बुरे जोखिम का सामना करे रहे हैं. अध्ययन में खुलासा हुआ था कि 34 फीसदी बच्चे अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के बारे में अपने माता-पिता से कभी कभार ही बात करते हैं.
अध्ययन के परिणामों के आधार पर यूनीनॉर ने वेब-वॉइस कार्यक्रम शुरू किया है जिसका उद्देश्य बच्चों में इंटरनेट संबंधी खतरों के खिलाफ सतर्कता लाना है. वेब-वॉइस के द्वारा यूनिनॉर नए उपभोक्ताओं को ऑनलाइन सुरक्षित रखना चाहता है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत मार्च से लेकर अभी तक 15,000 छात्रों को शिक्षित किया जा चुका है. अपने ग्राहकों को सुरक्षित ऑनलाइन अनुभव प्रदान करने के वादे के साथ यूनिनॉर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाना चाहता है, और अगले साल जनवरी तक 20,000 और बच्चों को इसके अंतर्गत शिक्षित किया जाएगा.
IANS से इनपुट