उत्तर भारत में ज्यादातर जगहों पर अब धूप खेल रही है आसमान नीला है तापमान ऊपर चढ़ने लगा है. लेकिन इन सबके बावजूद अमृतसर से लेकर कोलकाता तक कहीं ना कहीं कोहरा अपना कहर दिखा ही जाता है. इस बार कोहरे की मार से रेलवे सिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. कोहरे का रेल गाड़ियों पर इतना बुरा असर पड़ा है कि अभी तक रेलवे की तकरीबन 30 फीसदी ट्रेनें देरी से चल रही हैं. हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस बार कोहरे की वजह से रेलवे को तकरीबन 3500 ट्रेनें रद्द करनी पड़ी हैं. इन सबके बीच जगह-जगह रेल पटरियों की तोड़फोड़ की घटनाओं के सामने आने के बाद रेलवे के स्टाफ को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. इसके चलते ट्रेनों को कई रेल सेक्शन में ट्रेन स्पीड से कम स्पीड पर चलाया जा रहा है. इससे रेलवे की समयसीमा भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है.
दरअसल इस बार मौसम ने ऐसी करवट ली कि कोहरा नवंबर में ही आ धमका. उसके बाद दिसंबर में तकरीबन 20 दिनों तक घने कोहरे की वजह से रेल यातायात बुरी तरीके से प्रभावित हुआ. जनवरी आते-आते कोहरा पूरे जोर पर आ चुका था और उत्तर भारत के कई इलाकों में इसका असर देखा गया. उत्तर भारत और पूर्वी भारत में घने कोहरे की वजह से लंबी दूरी की कई ट्रेनें 24 से लेकर 36 घंटे तक लेट रहीं. उत्तर भारत की तरफ आ रही कोई भी ट्रेन समय पर नहीं पहुंच पाई . लेकिन इस स्थिति में अभी भी सुधार नहीं हुआ है.
रेलवे बोर्ड के एक आला अफसर के मुताबिक इस बार पहली दफा यह तय किया गया था की एक साथ दिसंबर से लेकर फरवरी तक ट्रेनों को रद्द करने की परंपरा को जारी नहीं रखा जाएगा. जरूरत पड़ने पर ही ट्रेनों को रद्द किया जाएगा. लेकिन समय से पहले आए कोहरे ने रेल मंत्रालय की पूरी योजना ध्वस्त कर दी. नवंबर में पड़े कोहरे की वजह से दिसंबर मध्य में रेलवे को सैकड़ों की तादाद में ट्रेनों को एकसाथ रद्द करने की घोषणा करनी पड़ी. फरवरी के दूसरे हफ्ते तक रेलवे को इस बार तकरीबन 3500 रेलगाड़ियां रद्द करनी पड़ी हैं.
कोहरे के चलते अब भी ट्रेनों की लेटलतीफी जारी है. राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां पर धूप खिली होने के बावजूद शनिवार को 23 ट्रेन ऐसी रहीं जो 2 घंटे से ज्यादा देरी से चल रहीं थीं. 13 ट्रेनों को रिशेड्यूल करना पड़ा है. यह स्थिति तब है जब पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक घने कोहरे की कहीं से भी रिपोर्ट नहीं है.
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि कोहरे को लेकर हमेशा ही अनिश्चितता बनी रहती है. पिछले साल रेलवे ने यात्रियों को आखिरी वक्त पर होने वाली परेशानी से बचाने के लिए पहले ही ट्रेनों को रद्द करने की घोषणा कर दी थी. लेकिन मौसम तो मौसम ही है पिछले साल कोहरा काफी कम पढ़ा लिहाजा खुद ही रेलवे को अपनी रद्द ट्रेनों को चलाना पड़ा. पिछले अनुभव से सबक लेते हुए रेलवे ने इस बार लीक से हटकर समय पड़ने पर जरुरत के मुताबिक गाड़ियां रद्द करने का फैसला किया. लेकिन कोहरे ने सारी योजना पर पानी फेर दिया. नवंबर में शुरू हुए कोहरे की वजह से पूरे रेलवे सिस्टम का रिकॉर्ड खराब हो गया है. हालत यह है कि फरवरी में सिर्फ 65 फीसदी ट्रेनें ही सही वक्त पर चल पा रही हैं.
जहां एक तरफ कोहरे ने रेलवे यातायात को बुरी तरीके से प्रभावित किया तो वहीं दूसरी तरफ दिसंबर से लेकर फरवरी तक बार-बार हुए हादसों और उसके बाद रेलवे ट्रैक को तोड़ने की नाकाम कोशिशों के चलते रेलवे के पूरे स्टाफ को काफी सतर्क कर दिया गया है. ऐसा कहा जा रहा है है कि रेलवे के फील्ड स्टाफ को तमाम ट्रेन रूट पर गाड़ियों को तय रफ्तार से कम रफ्तार पर चलाए जाने के मौखिक निर्देश दिए गए हैं जिससे किसी भी स्थिति से निपटा जा सके. ऐसी स्थिति में देशभर में रेलगाड़ियों की आवाजाही बुरी तरीके से प्रभावित हुई है और कई रेल रूट पर लेटलतीफी बढ़ गई है.