देश के दुश्मन जहां एक ओर जमीन पर सीमा पार से आतंकी घुसपैठ की कोशिश में लगे हुए हैं, वहीं अब उनके निशाने पर हिंदुस्तान के महत्वपूर्ण इंस्टॉलेशन और कंप्यूटर्स हैं. 'आज तक' के पास रक्षा मंत्रालय का वो पत्र है, जिसमें सेना और सुरक्षा एजेंसियों को साइबर अटैक के लिए सर्तक किया गया है और कई तरह की हिदायतें दी गई हैं.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, सेना के अधिकारियों को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के नाम से ईमेल पहुंचा है, जो पूरी तरह से फर्जी है. गंभीर बात यह है इस ईमेल को खोलते ही इसका फर्जी एनआईसी लॉग इन पेज खुल जाता है. यही नहीं, पलक झपकते ही यह कंप्यूटर की डिटेल कॉम्प्रोमाइज कर लेता है. यह फर्जी ईमेल manoharparrikar@yahoo.co.in आईडी से भेजा जा रहा है.
सैलरी के लिए पैन वेरिफिकेशन और हैक
दूसरी ओर, PCDAO के नाम से भी फर्जी ईमेल बनाकर रक्षा मंत्रालय के कई अधिकारियों को भेजा गया है. पीसीडीएओ पुणे स्थित वह संस्था है, जो रक्षा मंत्रालय में काम कर रहे सभी अफसर और जवानों की सैलरी बनाता है. इस ईमेल में पैन वेरिफिकेशन की मांग की गई और इसकी आईडी contacts@pcdaopunegov.in है. बताया जात है कि इस ईमेल के साथ जानकारी साझा करने का मतलब है कंप्यूटर का डाटा कॉम्प्रोमाइज होना.
बैंकॉक से मॉनिटर, जर्मनी का आईपी एड्रेस
साइबर सेंधमारी का यह खेल यही नहीं रुकता. eprocurearmy@nic.in इस आईडी को देखकर लगता है कि यह सेना की ईमेल आईडी है. लेकिन इस खाते से आए ईमेल को खोलते ही दो फाइल mass.exe और mieces.exe एक्टिव हो जाता है, जिसे बैंकॉक से मॉनिटर किया जा रहा है. यह मालिसियस फाइल कमांड और कंट्रोल से जुड़ा हुआ है, जिसका आईपी एड्रेस जर्मनी में है.
'ब्रिगेडियर सेक्स स्कैंडल' पर एक क्लिक और...
फाइल और ईमेल को आकर्षक दिखाने के लिए दुश्मनों ने फाइल का नाम ब्रिगेडियर सेक्स स्कैंडल रखा है, ताकि अफसर इसे खोले और मेल ओपन होते ही पूरी डिटेल कॉम्प्रोमाइज हो जाती है.
सैलरी रिविजन का झांसा
इसी तरह सैलरी रिविजन को लेकर तैयार की गई आईडी भी इस समय चर्चा में है. इसको arvindutta@gmail.com की आईडी से generate किया गया है और फाइल का नाम salary revision for central government employes है. एक वेबसाइट CSDratelis.blogspot.com है. ये जवानों को लुभाने के लिए है, ताकि जवान इस पर जानकारी शेयर करें और इनफॉर्मेशन डाटा कॉम्प्रोमाइज हो जाए.
चीनी हैकर्स का भी खतरा
इस समय रक्षा मंत्रालय में चीनी भाषा बोलने वाले हैकर GP जिसे डंटी कहते हैं, का खतरा बरकरार है. चीनी हैकर्स ने माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के नाम से फाइल तैयार करके CVE 2015-2545 जो कि nettraveler, dragonok बनाया और फिर इसे अटैक करके कंप्यूटर के जरिए आतंक का सायबर जाल बिछाया. ये ना तो बंदूक से लड़ा जा रहा है और ना ही रणक्षेत्र में.