एक वक्त था जब आलोक वर्मा, केंद्र सरकार से अच्छे रिश्तों की वजह से ही अमूल्य पटनायक को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनाने में कामयाब हुए थे. दिल्ली पुलिस के सीनियर अधिकारी ने बताया कि अमूल्य पटनायक के कमिश्नर बनने की रेस में रनर अप धर्मेंद्र कुमार और दीपक मिश्रा थे लेकिन आलोक वर्मा की केंद्र में अच्छी पैठ की वजह से ही सब कुछ मुमकिन हो पाया था.
वक्त बदला तो हालात भी बदले. आज के वक्त में दिल्ली पुलिस में कई पदों पर बैठे उनके 'लोग' अब डरे हुए हैं. सूत्र कह रहे हैं कि दिल्ली पुलिस का वो हिस्सा जो आलोक वर्मा के खेमे का माना जाता है, वो बेहद डरा हुआ है कि कहीं लड़ाई की आंच उन तक ना पहुंच जाए.
वर्मा का दायां हाथ 'एक एसीपी'
दिल्ली पुलिस में चर्चा है कि आलोक वर्मा का एक करीबी एसीपी जो उस दौर का सबसे ताकतवर शख्स माना जाता है और वर्मा के कार्यकाल में उसी के पास ट्रांसफर-पोस्टिंग जैसी जिम्मेदारी थी, वो सीबीआई में लड़ाई के बाद से ही सहमा हुआ है. महकमे के अंदर दबी जुबान में चर्चा है कि सीबीआई में चल रही लड़ाई में दिल्ली पुलिस के कुछ लोगों के जरिए 'जासूसी' करवाई जा सकती है. हालांकि ये जांच का विषय है.
वर्मा का विरोधी खेमा एक्टिव
वर्मा ने पुलिस कमिश्नर बनते ही अपने खेमे को दूर फेंक दिया था. अब वो खुद मुश्किल में हैं तो उनकी विरोधी लॉबी सक्रिय हो चुकी है. सूत्रों का कहना है कि मौजूदा पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने अपने अधिकारियों को सीबीआई में चल रही लड़ाई से दूर रहने को कह दिया है.