आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सीमा और आंतरिक सुरक्षा को खतरों के अलावा भारतीयों पर हमले इन समस्याओं से दृढ़ता से निपटने में भारत की कमजोरियों को दर्शाते हैं.
आरएसएस प्रमुख ने आरएसएस कार्यकर्ताओं की एक रैली को यहां संबोधित करते हुए कहा, ‘‘विगत 60 वर्षों से पाकिस्तान जैसे छोटे देश ने भारत की मैत्री की इच्छाओं के खिलाफ शत्रुतापूर्ण रुख अपना रखा है. 26 नवंबर के हमले के बावजूद हम उस देश के साथ मित्रता की बात कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह इस बात की गारंटी नहीं दे सकते कि भारत में 26 नवंबर जैसे हमलों की पुनरावृत्ति नहीं हो सकती है. पाकिस्तान को सबक सिखाया जाना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की नजर कश्मीर पर है. भागवत ने कहा कि तीन लाख कश्मीरी जो वहां से पलायन के लिए विवश कर दिए गए उन्हें वहां फिर से बसाया जाना चाहिए.
लद्दाख में चीन की घुसपैठ का परोक्ष तौर पर उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमारी उत्तरी सीमा पर क्या हो रहा है उसे साफ तौर पर नहीं बताया गया है.’’ भागवत ने कहा कि देश की सुरक्षा को राजनीति से परे रखा जाना चाहिए.