कभी देश का प्रमुख टाइगर रिज़र्व रहे पलामू के बेतला नेशनल पार्क में लंबे अरसे बाद बाघ की मौजूदगी की पुष्टि हुई है. इस बाघ को सबसे पहले यहां घूमने आए पर्यटकों ने देखा और बाघ की तस्वीर अपने कैमरों में कैद की. पर्यटकों के मुताबिक, बाघ इस इलाके में स्थित नुनाही नाले के पास देखा गया, जिसके बाद उन्होंने तुरंत इसकी खबर वनविभाग के कर्मियों को दी.
करीब 16 महीने बाद दिखा बाघ
बेतला में आखिरी बार साल 2015 में बाघ दिखा था. इसके बाद उनके दिखने की कोई खबर नहीं आई. बाघों की निशानदेही के लिए वहां सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए, लेकिन उसमें भी कुछ हालिस नहीं हुआ.
1974 में बना था पलामू टाइगर रिज़र्व
झारखंड में बाघों के संरक्षण को लेकर 1974 में पलामू टाइगर रिजर्व की स्थापना की गई थी. वन प्रमंडल पदाधिकारी बफर एरिया में 250 के लगभग कर्मी कार्यरत हैं. इस प्रोजेक्ट को पिछले 39 वर्षों से प्रति वर्ष विस्तार मिलता आ रहा है. घोर नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र में बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए इनके देख-रेख और संरक्षण के मद अब तक अरबों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. हालांकि इतना खर्च होने के बाबजूद यह आरोप भी लगते रहे कि यहां कितने बाघ मौजूद है इसकी सही-सही जानकारी तक अधिकारियों के पास नहीं है.
सन 1974 में हुए पहले बाघ जनगणना में इनकी संख्या 22 बताई गई थी, जो 1984 में बढ़कर 68 हो गई. जबकि 2004 आते-आते ये घटकर 38 रह गई. वहीं RTI के तहत मांगी गई जानकारी से यह सनसनीखेज खुलासा भी हुआ था कि वर्तमान में इनकी संख्या मात्र 2 है.