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सरकारी बैंकों के लिए होल्डिंग कंपनी बनाने का सही समय: मुंदड़ा

रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस. एस. मुंदड़ा ने कहा कि बैंकों के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने पर चर्चा करने के लिए यह सही समय है. इस प्रकार की होल्डिंग कंपनी में शुरुआत में सरकार की बहुमत हिस्सेदारी होनी चाहिए और कंपनी के पास अलग अलग बैंक की बहुमत भागीदारी होनी चाहिए.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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संकट की स्थिति से गुजर रहे भारतीय बैंक सिस्टम को दुरुस्त करने को लेकर बैंकिंग सेक्टर में बहस चल रही है. रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस. एस. मुंदड़ा ने कहा है कि नकदी की तंगी और धोखाधड़ी से जूझ रहे भारतीय बैंकिंग उद्योग के बेहतर प्रबंधन के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने का यह सही समय है.

मुंदडा ने बैंकों के निजीकरण को लेकर भी टिप्पणी की है. उनका कहना है कि भारत की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए परिस्थितियां फिलहाल सही नहीं हैं.

मुंदडा ने शुक्रवार रात सिंगापुर में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रायोजित मिंट एशिया ग्लोबल बैंकिंग कॉन्क्लेव में कहा, बैंकों के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने पर चर्चा करने के लिए यह सही समय है. इस प्रकार की होल्डिंग कंपनी में शुरुआत में सरकार की बहुमत हिस्सेदारी होनी चाहिए और कंपनी के पास अलग-अलग बैंक की बहुमत भागीदारी होनी चाहिए.

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उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में, सरकार को कंपनी में हिस्सेदारी कम कर देनी चाहिए. मेरा मानना है कि यह एक रूपरेखा हो सकती है और इसमें 15 से 20 साल लग सकते हैं.

निजीकरण समाधान नहीं

एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार के बयान पर सहमति जताते हुए मुंदड़ा कहा कि बैकिंग व्यवस्था में सुधार के लिए निजीकरण कोई रामबाण नहीं है. यह पूरी तरह से स्पष्ट है.

दरअसल कुमार ने अपने बयान में कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए परिस्थितियां सही नहीं हैं. एक चर्चा के दौरान कुमार ने देश की वर्तमान सामाजिक-आर्थिक स्थिति का हवाला दिया और कहा कि यह निजीकरण के लिए सही समय नहीं है. हो सकता है कि 20 साल बाद आपके पास इसके लिए सही समय हो.

होल्डिंग कंपनी के मायने

बता दें कि बैंकिंग मामलों के जानकारों के अनुसार सरकारी खजाने से बैंकों में पैसा लगाना आसान नहीं होता. ऐसे में सरकार का सार्वजनिक बैंकों में 51 फीसदी न्यूनतम होल्डिंग रखने का कोई तुक नहीं बनता. इस क्षेत्र में सुधार के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने का सुझाव दिया जाता है, जिसके पास सरकार सभी बैंकों के अपने शेयर रखे. होल्डिंग कंपनी का इस्तेमाल बैंकों के लिए पैसा जुटाने के लिए किया जा सकता है. 

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